मेरा भाई अमित बचपन में बहुत ही नटखट और क्रिकेटप्रेमी था. क्रिकेट के चक्कर में, गेंद लगने से, उस से कुछ न कुछ टूटफूट जाता था. जब भी उस से कोई नुकसान होता, मेरे पापा कहते, ‘‘तोड़ोतोड़ो, तुम्हारा क्या बाप लगे हैं?’’

एक बार हम फिरोजाबाद अपने दादीदादा के घर गए. वहां हम सब लोग बैठे हुए थे. अचानक ही मेरे पापा के हाथ से नक्काशी किया गिलास गिर गया और गिलास गिरते ही अमित बोला, ‘‘फोड़ोफोड़ो, तुम्हारा क्या बाप लगे हैं?’’ पापा की शक्ल देखने लायक थी और बाकी सब हंस रहे थे.  

मोनिका अग्रवाल

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मैं पंजाब के कपूरथला शहर में अपनी बेटी के घर गई थी. थोड़ी देर होने पर उस के दोनों बेटे (बनी, मनी) मिलने नहीं आए तो मैं ने पूछा, ‘‘दोनों बच्चे कहां हैं?’’ वह बोली कि शहर में बाढ़ आने वाली है, इसीलिए वे दोनों अपना सामान समेटने में व्यस्त हैं. इतने में दोनों दौड़ते आए तो मैं ने पूछा, ‘‘क्या कर रहे थे?’’ वे दोनों बोले, ‘‘पता है नानीमां, हमारे शहर में बाढ़ आने वाली है तो हम अपना सामान सहेज रहे थे.’’ तभी मैं ने देखा कि वे दोनों अपनीअपनी किताबें, कलर, पैंसिल, लंचबौक्स, स्कूलबैग संभाल कर ऊपरी मंजिल के कमरे में रख रहे थे.

मैं ने पूछा कि सामान ऊपर क्यों रख रहे हो तो वे बोले कि पानी ऊपर तक नहीं आ पाएगा और हमारा सामान बच जाएगा. लाइए आप का भी सामान ऊपर रख दें. वरना वह खराब हो जाएगा. उन की भोली बातें सुन कर हम सभी खूब हंसे तथा हम सभी को लगा कि बच्चों की दुनिया स्कूल तक ही सीमित है. 

मालावाही

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मैं अपने 5 वर्षीय पुत्र अंश से कुछ छोटेछोटे काम कराती हूं, जिन में खाना खाने के बाद उस के खुद के बरतन उठाना भी शामिल है. एक दिन वह मुझ से पूछने लगा, ‘‘मम्मी, मैं कब बड़ा होऊंगा?’’ तो मैं ने कहा कि किसलिए वह जल्दी से बड़ा होना चाहता है? इस पर वह बोला, ‘‘जब मैं बड़ा हो जाऊंगा, तो आप मेरे भी बरतन उठाएंगी जैसे घर के बाकी सब बड़े सदस्यों के उठाती हैं.’’

उस के बड़े होने की जल्दी के पीछे छिपे कारण के बारे में मैं ने जब सब को बताया तो सब खूब हंसे.  

परमीत कौर

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