मेरी सहेली राजश्री के साढ़े 3 साल का बेटा उपार्जित अपने मामा की शादी में गया. शादी की रस्मों को उस ने बड़े ध्यान से देखा. एक दिन स्कूल जाने के लिए आनाकानी कर रहा था तो उस की मम्मी ने समझाया कि पढ़लिख कर बड़ा आदमी बनना है तो स्कूल जाना पड़ेगा. यह सुन कर उपार्जित तपाक से बोला, ‘‘मुझे बड़ा नहीं बनना है. बड़ा हो गया तो आप मेरी शादी कर दोगी. मेरे कपड़े उतार कर पटरे पर बिठा कर सब लोग मेरे शरीर पर तेल लगाएंगे.’’ उस की भोली बातें सुन कर सब को हंसी आ गई.
मंजू अग्रवाल रिमा
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मेरी बेटी अरूनांशी 5 साल की है. वह अभी एलकेजी कक्षा में पढ़ती है. उस के जन्मदिन के लिए मैं केक बना रही थी. केक की आइसिंग करने में मुझे थोड़ा समय लग गया. इस पर उस ने मुझ से पूछा, ‘‘मम्मी, आप को केक बनाने में इतना टाइम क्यों लग रहा है?’’ मैं ने कहा, ‘‘बेटा, किसी चीज को सुंदर बनाने में समय लगता है.’’
कुछ दिनों बाद मेरी बेटी की हिंदी की नोटबुक में रिमार्क लिखा आया, ‘स्लो इन राइटिंग’.
मैं ने जब उस से कहा, ‘‘बेटा, आप की नोटबुक में टीचर ने ‘स्लो इन राइटिंग’ क्यों लिखा है? आप समय पर कक्षा कार्य नहीं करती हो?’’
बेटी तपाक से बोली, ‘‘मम्मी, मैडम को कौन समझाए कि सुंदर लिखने में टाइम लगता है.’’
एक पाठिका
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मेरा 7 वर्षीय बेटा मोहक बहुत ही शरारती व चंचल है. हमारे घर में मेरी ननद की शादी में कई तरह के व्यंजन बनाए गए थे. बाकी मिठाइयां तो खत्म हो गईं पर गुलाबजामुन बहुत ज्यादा बच गए थे. काफी सारे गुलाबजामुन हम ने परिचितों एवं पड़ोसियों के यहां बांट दिए. घर पर भी नाश्ते, लंच और डिनर के समय गुलाबजामुन खिलाए जा रहे थे.