कुछ दिन पहले एक रिश्तेदार अपने बेटे की शादी का निमंत्रणकार्ड देने के लिए घर आए. रिश्तेदार महोदय कार्ड पकड़ाने के बाद तुरंत चलने के लिए तैयार हो गए. ससुरजी ने उन से बैठने और कुछ जलपान आदि ग्रहण करने के लिए अनुरोध किया. वे कहने लगे कि उन्हें अभी कई जगहों पर कार्ड देना है, उन के पास बिलकुल समय नहीं है. कई बार अनुरोध करने पर भी वे रुकने को तैयार नहीं हुए. उन का यह आचरण ससुरजी को अच्छा नहीं लगा. उन्होंने रिश्तेदार महोदय को कार्ड पकड़ाते हुए कहा, ‘‘भैया, अगर आप को हमारे यहां के लिए 5 मिनट का समय नहीं है तो हमारे पास भी आप के यहां शादी में शामिल होने के लिए 2-4 घंटे देने का समय नहीं है. यह कार्ड पकडि़ए और आप को जल्दी है, आप निकलिए.’’ रिश्तेदार महोदय बुरी तरह झेंप गए और उन्होंने अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी और फिर जलपान करने के बाद ही गए.

अर्चना अग्रहरि, हावड़ा (प.बं.)

*

मेरे दादाजी पड़ोसी से बहुत परेशान थे. उस ने 2 कुत्ते पाल रखे थे. टौयलेट के लिए वह उन्हें हमारे खेत में छोड़ देता था. खेत बटाई का था. बटाईदार बारबार हम से शिकायत करता. खेत की निराईगुड़ाई में उसे दिक्कत होती थी.

पड़ोसी अपनी करनी से बाज नहीं आया तो दादाजी एक प्लास्टिक की थैली में दालसब्जी के रस में भिगोई रोटी और उस में मड़वे का आटा मिला कर खेत के पास ले गए और बटाईदार से जोरजोर से बोले, ताकि पड़ोसी भी सुन सके, ‘‘अरे बिनयपाल, खेत में बहुत चूहे हो गए हैं. मैं रोटी को मीट के रस में भिगो कर, चूहामार दवा मिला कर लाया हूं. तू इस में से कुछ चूहे के बिल के पास रख दे, शेष को खेत में फैला दे,’’ यह कहते हुए उन्होंने उसे थैली सौंप दी. वह बोला, ‘‘बाबूजी, यह आप ने ठीक किया, इस से चूहे क्या बिल्लीकुत्ते भी मर जाएंगे.’’ उस ने रोटी खेत में बिखेर दी. पड़ोसी ने यह सब सुना तो जलभुन गया. दादाजी न तो उस से उलझना चाहते थे और न कुत्तों को कोई नुकसान पहुंचाना चाहते थे. इस तरकीब से पड़ोसी के कुत्तों का खेत में आना बंद हो गया.

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