देश की सरकार आरएसएस चला रहा है या भाजपा, इस बात को ले कर अधिकांश लोगों में भ्रम की स्थिति है और इस पर लोग दोफाड़ भी हैं. कुछ मानते हैं कि सरकार पर आरएसएस का दबदबा साफ दिखता है तो कइयों का कहना है कि नरेंद्र मोदी संघ के दबाव में पूरी तरह नहीं हैं. पर समझदार लोग वे हैं जिन्होंने यह निष्कर्ष निकाल लिया है कि देश इन दोनों के सहकारिता और सहभागिता के समझौते व अनुबंध पर चल रहा है. बस, इन्होंने मुद्दे बांट रखे हैं. यही बात आगरा के एक शैक्षणिक कार्यक्रम में एक शिक्षक ने मोहन भागवत से पूछ ली तो वे भड़क कर विश्वामित्र की भूमिका से सीधे दुर्वासा की मुद्रा में आ कर बोले, ‘मैं कोई भाजपा सरकार का दूत नहीं हूं जैसा कि आप लोग समझते हैं.’ हालांकि वह नादान शिक्षक भागवत से सिर्फ यह जानना चाह रहा था कि सरकार शिक्षा के लिए क्या कदम उठाने वाली है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...