मेरी दोस्त अपने बेटे के लिए लड़की खोज रही थी. कई जगहों से रिश्ते आए. उन में से एक लड़की और उस का परिवार उस को व उस के बेटे को बहुत पसंद आया. बात आगे बढ़ी. एक बार मेरी सहेली और उस के पतिदेव उस लड़की के परिवार से जा कर मिल कर भी आ गए. वे लोग इंदौर में रहते थे. जब सबकुछ ठीक लगा तो यह तय हुआ कि लड़की चूंकि दिल्ली में ही नौकरी करती है और अपनी सहेली के साथ वहीं रहती है और लड़का गुड़गांव में है तो दोनों एक बार मिल लें.
मेरी सहेली ने अपने बेटे को फोन कर के बता दिया कि वह लड़की तुम से मिलेगी और उस का फोन नंबर भी दे दिया. नियत समय पर दोनों एक थ्री स्टार होटल में मिले.
यहां तक तो ठीक था पर मुश्किल तब हो गई जब उस मुलाकात के बाद वह लड़की अपने घर नहीं पहुंची. न घर वालों से उस ने बात की और न ही अपनी सहेली को कुछ बताया, बस गायब हो गई.
सब फिक्रमंद हो गए, सब से ज्यादा तो लड़का घबरा गया. उसे लगा, लोग उस के ऊपर उंगली न उठाएं कि कहीं उस ने कुछ कह तो नहीं दिया, कुछ कर तो नहीं दिया.
गनीमत हुई कि लड़की के परिवार वाले समझदार निकले और उन्होंने दोष लड़के वालों को नहीं दिया. शायद वे अपनी बेटी के बारे में कुछकुछ जानते थे. पूरे 4 दिन बाद उस लड़की ने अपने परिवार वालों को फोन किया और बताया कि वह एक लड़के से प्यार करती है और उस ने उस लड़के से कोर्ट में जा कर शादी भी कर ली है. मेरी सहेली और उस के पति ने सिर पकड़ लिया और खैर मनाई कि उन के बेटे की जिंदगी बच गई. अनीता सक्सेना, भोपाल (म.प्र.)
मेरे विद्यालय के पास एक सज्जन के यहां बेटी की शादी थी. उन्होंने पार्क में टैंट लगा कर शादी की व्यवस्था की थी. परंतु उस दिन अचानक इतना पानी बरसा व हवा इतनी तेज चली कि टैंट गिर गया. उन की समझ में नहीं आ रहा था क्या करें. बगल में विद्यालय के प्रधानाचार्य से उन्होंने बात की कि विद्यालय में एक रात बरात ठहरने दी जाए. प्रधानाचार्य ने मना किया लेकिन प्रशासनिक दबाव में आ कर उन्हें विद्यालय के कुछ कमरे व आंगन देना पड़ा.
शादी के बाद दूसरे दिन जब विद्यालय खुला तो पता लगा कि बरातियों ने काफी नुकसान किया हुआ था. नल वगैरह तोड़ दिए थे. जगहजगह पान खा कर थूका हुआ था. सिगरेट के टुकड़े व शराब की बोतलें इधरउधर बिखरी थीं. ब्लैकबोर्ड पर गालियां लिखी हुई थीं. यह सब देख कर मन क्षुब्ध हो गया कि शिष्ट शिक्षा स्थल में भी लोग अपनी अभद्रता दिखाने से बाज नहीं आते. उपमा मिश्रा, गोंडा (उ.प्र.)