आज नौकरी के अवसरों की कमी है और निजी क्षेत्रों में नौकरी को लेकर हमेशा एक अनिश्चितता बनी रहती है. इसलिए पिछले कुछ वर्षों में स्टार्टअप का चलन तेजी से बढ़ा है. स्वरोजगार के लिए नएनए आइडियाज उभर कर आएं हैं. एक तो इन में पूंजी कम लगती है और दूसरा कम जोखिम में सफल होने की संभावना अधिक होती है.महिलाएं भी बिज़नेस में बढ़चढ़ कर अपना हाथ आजमा रही है.

महिलाओं की योग्यता और बिज़नेस स्किल्स का लोहा पूरी दुनिया मानती है. अब महिलाएं केवल डिजाइनिंग, फैशन और हैंडीक्रौफ्ट इंड्स्ट्री में ही नहीं हैं बल्कि उन क्षेत्रों में भी कदम रख रही हैं जहां पहले काम करने में वे झिझकती थीं. मिनिस्ट्री औफ स्टेटिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन के अनुसार आज हमारे देश में कुल व्यवसाइयों में से 14 प्रतिशत महिलाएं हैं. शहरी ही नहीं गांव की महिलाएं भी अपने हैंडी ग्राफ्ट्स और एथनिक जूलरी के व्यवसाय बखूबी चला रही हैं. महिलाएं और भी कई तरह के बिज़नेस में हाथ आजमा सकती हैं.

रूचि का खयाल रखें

अगर आप कोई व्यवसाय शुरू करने का सोच रही हैं तो सब से पहले आप को अपनी रूचि का ख़याल रखना चाहिए वही काम करें जो करने में आप को मजा आता है. अब यह तय कीजिये कि उस काम की शुरूआत किस स्तर पर करना चाहती हैं. आप इस व्यवसाय को फुलटाइम रखना चाहती हैं या पार्ट टाइम. इस स्टार्टअप को शुरू करने में कितनी पूंजी की जरूरत पड़ेगी.

फंड का इंतजाम

सामान्यता छोटेमोटे स्टार्टअप की शुरुआत के लिए बहुत ज्यादा पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है.  आप इसे अपनी निजी बचत या परिवार के सहयोग से शुरू कर सकती हैं. बैंक और दूसरी वित्तीय संस्थाएं भी महिलाओं को लोन दे रही हैं. माइक्रो फायनेंस सेक्टर स्टार्टअप के लिए बहुत अच्छा काम कर रहा है. नैसकॉम के अनुसार 2018 में स्टार्टअप की फंडिंग में 108 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.,

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