मोबाइल फोन की सेवाओं की दरों को सस्ता करने की होड़ के चलते कई छोटी टेलिकौम कम्पनियां बाज़ार से बाहर हो गईं. दरों को सस्ता करने की प्रतिस्पर्धा के दौरान देश के मोबाइल उपभोक्ताओं को खूब फायदा हुआ. टेलिकौम सेक्टर में अब 3 बड़ी प्राइवेट कम्पनियां – वोडाफोन आईडिया, भारती एयरटेल और रिलायंस जिओ हैं. ये कम्पनियां अब इस स्थिति में हैं कि वे दरों को फिर से, दूसरे तरीके से बढ़ा सकती हैं.
ऐसे में मोबाइल फोन सर्विसेज पर कम खर्च करने वाले ग्राहकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. जान लें कि वोडाफोन आईडिया और भारती एयरटेल ने मिनिमम रिचार्ज प्रीपेड पैक शुरू करने का फैसला किया है. यह इन कंपनियों की ओर से हर ग्राहक से ज्यादा पैसा खर्च करवाने यानी अपनी औसत आय बढ़ाने और फायदे वाले मौजूदा ग्राहकों पर ज्यादा ध्यान देने की कोशिश का संकेत है. कंपनियों के फैसले से यह संकेत भी मिलता है कि वे इनकम न कराने वाले यानी मोबाइल सर्विसेज पर पैसा न खर्चने वाले या रिचार्ज न कराने वाले या कभीकभी रिचार्ज कराने वाले ग्राहकों को बाहर कर सकती हैं.
मार्केट लीडर वोडाफोन आईडिया और देश की दूसरी सब से बड़ी टेलिकौम कंपनी भारती एयरटेल ने 100 रुपए से कम के बहुत से प्रीपेड पैक पर 28 दिनों की वैलिडिटी शुरू की है. इन में 35, 65 और 95 रुपए के पैक शामिल हैं. इस से इन प्लान्स पर रिचार्ज न कराने वाले ग्राहकों की आउटगोइंग कौल्स 30 दिनों में और इन्कमिंग कौल्स 45 दिनों में बंद हो जाएंगी.
कंपनियों के इस कदम से यह पता चल रहा है कि दोनों बड़ी टेलिकौम कम्पनियां पिछले 2 वर्षों में कम प्राइसिंग यानी दरों को सस्ता करने की होड़ से नुकसान उठाने के बाद अब अपनी इनकम बढ़ाने पर ध्यान दे रही हैं. टेलिकौम मार्केट में रिलायंस जिओ इन्फोकौम के प्रवेश के बाद शुरू हुई प्राइस वार से इन पुरानी कंपनियों के लाभ पर बड़ा असर पड़ा है. जिओ की कम कीमतों के चलते इन कंपनियों को अपनी सेवाएं सस्ती करनी पड़ी थीं. ऐसा करना उस वक्त में इन की मजबूरी थी वर्ना इन के ग्राहक इन्हें छोड़ रिलायंस जिओ के पाले में चले जाते.
टेलिकौम से जुड़े एक एक्सपर्ट ने बताया कि एयरटेल और वोडाफोन आईडिया ने देशभर में मिनिमम रिचार्ज प्लान्स पेश किए हैं. इस के जरिए वे हर ग्राहक से औसत इनकम बढ़ना चाहती हैं. ऐसा लगता है कि ये कम्पनियां उन ग्राहकों को बाहर करने में हिचकेंगी नहीं जिन से उन्हें कोई फायदा नहीं मिल रहा. ये कम्पनियाँ आर्थिक स्तर पर मझोले और उच्च ग्राहकों पर ध्यान दे रही हैं जो छोटे या कम खर्च करने वाले ग्राहकों की तरह मामूली सा फायदा देख कर कंपनी नहीं बदलते.
गौरतलब है की रिलायंस जिओ की तरफ से बेहद सस्ते टैरिफ प्लान्स पेश करने के कारण पुरानी टेलिकौम कंपनियों को अपने ग्राहक बरकरार रखने के लिए रेट्स में कमी करनी पड़ी थी. इस से ग्राहकों को तो फायदा हुआ था लेकिन उन कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. इस वजह से कुछ कम्पनियां मार्किट से बाहर हो गयीं और बाजार में मौजूद 3 बड़ी कंपनियों के पास अब कीमतें बढ़ाने की ताकत लौट आई है.