सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में गड़बड़ी करने वाली कंपनियों को पावर सेक्टर के जेनरेशन और ट्रांसमिशन प्रॉजेक्ट्स के लिए बोली लगाने से रोका जा सकता है. अल्ट्रा मेगा पावर प्रॉजेक्ट्स (यूएमपीपी) से जुड़े बिड डॉक्युमेंट्स में इस प्रस्ताव को शामिल किया गया है. इस पर केंद्रीय कैबिनेट में जल्द फैसला हो सकता है.

पावर ट्रांसमिशन प्रॉजेक्ट्स के नए बिडिंग फॉर्मेट में यह भी मॉडल दिख सकता है. कंपनियों पर तीन से ज्यादा अल्ट्रा मेगा पावर प्रॉजेक्ट्स हासिल करने पर रोक वाले क्लॉज को भी बरकरार रखा गया है. पावर ट्रांसमिशन प्रॉजेक्ट्स से जुड़े बिड नियमों की समीक्षा करने के लिए बनाई गई एक्सपर्ट कमिटी ने भी पावर मिनिस्ट्री को रोक लगाने वाले क्लॉज को शामिल करने की सिफारिश की है. कमिटी की सिफारिशों में कहा गया है, 'मौजूदा बिडिंग फ्रेमवर्क और स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट्स (एसबीडी) के तहत पहले गड़बड़ी कर चुकी पार्टी पर पाबंदी लगाने वाला क्लॉज नहीं था.'

कमिटी की राय थी कि एक ही तरह के प्रॉजेक्ट पर पहले काम पूरा करने में नाकाम रही इकाइयों को आगे के प्रॉजेक्ट्स के लिए हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इस बात पर भी चर्चा हुई कि इस तरह का क्लॉज नए यूएमपीपी डॉक्युमेंट में पेश किया गया है, जिसे गहन विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है. जिन तमाम बड़े ट्रांसमिशन प्रॉजेक्ट्स के लिए टैरिफ आधारित कॉम्पिटीटिव बिडिंग हुई थी, उनमें सिर्फ दो प्रॉजेक्ट्स पर अमल नहीं हो पाया.

संभावित बिडर्स को कंपनी और अपने अहम मैनेजरों के खिलाफ पेंडिंग जांच के सभी मामलों के बारे में विस्तार से जानकारी देनी होगी. पावर मिनिस्ट्री और ऑक्शन कराने वाली सरकारी फर्म एमएसटीसी जल्द बिडिंग प्लैटफॉर्म लॉन्च करेंगी, जो मौजूदा मैन्युअल ऑक्शन प्रोसेस की जगह लेगा. इस प्लैटफॉर्म के जरिये पावर ट्रांसमिशन प्रॉजेक्ट्स के लिए सबसे कम बोली लगाने वाली इकाइयों के बारे में फैसला किया जाएगा.

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