पेट्रोल और डीजल खरीदने के लिए आने वाले दिनों में आपको जेब और खाली करनी पड़ सकती है. भारतीय करेंसी रुपए में गिरावट बनी हुई है और इस वजह से विदेशों से कच्चा तेल आयात करने के लिए औयल मार्केटिंग कंपनियों को पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे, और इसका बोझ वह उपभोक्ताओं पर डाल सकती हैं. इसके अलावा विदेशी बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में जोरदार बढ़ोतरी देखी जा रही है जिस वजह से भी औयल मार्केटिंग कंपनियों की लागत बढ़ेगी.

मंगलवार को अमेरिकी करेंसी डौलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपया करीब 6 महीने के निचले स्तर तक लुढ़क गया. डौलर का भाव बढ़कर 65.22 रुपए तक पहंच गया जो मार्च 2017 के बाद सबसे अधिक भाव है. आज रुपये में करीब 23 पैसे की गिरावट दर्ज की गई है.

दूसरी ओर विदेशी बाजार में कच्चे तेल का भाव बढ़कर 52.43 डौलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है जो करीब 4 महीने में सबसे अधिक भाव है. विदेशी बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई बढ़ोतरी की वजह से भारतीय औयल कंपनियों को भी कच्चा तेल खरीदने के लिए ज्यादा पैसे चुकाने पड़ेंगे और इसका बोझ भी ग्राहकों पर ट्रांसफर हो सकता है.

दरअसल भारतीय तेल कंपनियों को विदेशों से कच्चा तेल खरीदने के लिए डौलर में भुगतान करना पड़ता है. भारतीय रुपया कमजोर होने की वजह से तेल का भुगतान करने के लिए बाजार से जो डौलर खरीदना पड़ेगा उसके लिए पहले के मुकाबले अब ज्यादा पैसे चुकाने पड़ेंगे, ऊपर से विदेशी बाजार में तेल का दाम पहले ही बढ़ने लग गया है. ऐसे में आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होने की आशंका भी बढ़ गई है.

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