एक समय था जब हवाईयात्रा को धनाढ्य वर्ग तक ही सीमित माना जाता था. नेता, अभिनेता, उद्योगपति और शीर्ष अधिकारी ही इस सेवा का लाभ ले पाते थे. समय बदला तो देश में कम बजट की हवाईसेवाएं शुरू हुईं. बहुत लोगों का विश्वास था कि कम कीमत पर हवाई सफर कराने की यह अवधारणा जल्द ही दम तोड़ देगी मगर इस विश्वास को झटका लगा और कम बजट की हवाईसेवा देने वाली विमानन कंपनियों के हौसले बुलंद होते गए. देश का जनसामान्य हवाई सफर करने लगा और कम दाम पर लोगों को गंतव्य तक पहुंचाने वाली उड़ानों में यात्रियों की भीड़ बढ़ने लगी. सभी रूट पर विमान पूरी सीटें भर कर उड़ान भरते रहे. देखते ही देखते इस क्षेत्र में इंडिगो, स्पाइस जेट, गो एअर, एअर एशिया इंडिया जैसी कंपनियां उतर आईं और सभी कंपनियां फायदे में चलने लगीं.
इस प्रतिस्पर्धा का सीधा लाभ यह हुआ कि सरकार ने विमानन क्षेत्र के लिए नई नीति तैयार कर दी और लोगों के बजट के अनुसार हवाईसेवा देने की घोषणा कर दी. इन कंपनियों को कम किराया की वजह से पूरी सवारी मिलने का फायदा हुआ. इस का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि निजी क्षेत्र की कम बजट वाली तीनों कंपनियों के बाद अब गो एअर ने भी अंतर्राष्ट्रीय मार्गों पर उड़ान भरने का निर्णय लिया है. कंपनी ने चीन, थाईलैंड, मालदीव तथा वियतनाम के साथ ही खाड़ी क्षेत्र के 14 देशों में अपनी उड़ानें शुरू करने की घोषणा की है. कंपनी का कहना है कि इन देशों में पर्यटक ज्यादा नहीं जाते हैं लेकिन वहां अन्य यात्रियों को आकर्षित किया जा सकता है. इस के लिए जरूरी प्रक्रिया पर काम शुरू हो चुका है और अगले वर्ष के आरंभ से धीरेधीरे इन देशों के लिए कंपनी अपनी उड़ान का संचालन शुरू कर देगी.