सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड यानी बीएसएनएल तथा महानगर टैलीफोन निगम लिमिटेड यानी एमटीएनएल के कायाकल्प की योजना पर काम कर रही है. योजना के तहत ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं कि जिन से बीएसएनएल तथा एमटीएनएल का बाजार अस्तित्व तेजी से बढ़े और ये निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों को टक्कर दे सकें.

दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा का कहना है कि बीएसएनएल तथा एमटीएनएल का पृथक अस्तित्व बना रहेगा लेकिन दोनों कंपनियां परस्पर बेहतर समन्वय बनाएंगी और बाजार की चुनौतियों से निबटने की रणनीति पर काम करेंगी.

इस के लिए 2016 से ही काम चल रहा था और अब 6 माह के भीतर इन योजनाओं के परिणाम दिखने लगेंगे.

सरकारी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए सरकारी क्षेत्र की 7 कंपनियों ने योजना बनाई. इन कंपनियों में बीएसएनएल व एमटीएनएल के अलावा आईटीआईएल, सी-डौट, टीसीआईएएल, टीईसी और वीटीआईएल शामिल हैं. योजना का मकसद सरकारी क्षेत्र की कंपनियों की कार्यक्षमता बढ़ाना तथा उन्हें बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाना है.


योजना का बड़ा लाभ यह है कि इन कंपनियों के अंदरूनी मामले सीधे अदालतों में जाने के बजाय पहले सी-डौट के पास ले जाए जाएंगे जहां इस का निबटान करने का प्रयास किया जाएगा. सी-डौट यदि विवाद नहीं सुलझा पाता है तो आगे की रणनीति पर विचार किया जा सकता है.

बहरहाल, संचार क्रांति के इस दौर में सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियां बीएसएनएल व एमटीएनएल जिस तरह से काम कर रही हैं वह उपभोक्ता के अनुकूल नहीं है. एमटीएनएल तो सरकारी हाथी बन चुका है.

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