देश में कौन से सिक्के या कैसे नोट चलने हैं, यह भारतीय रिजर्व बैंक का विशेषाधिकार है. बैंक जिस मुद्रा को प्रचलन के लिए बाजार में उतारेगा उसी को बाजार में चलना है. रिजर्व बैंक ने 500 रुपए और 1,000 रुपए के पुराने नोटों को बंद किया और फिर 2 हजार रुपए का नोट बाजार में पेश किया है. मतलब यह है कि रिजर्व बैंक जिसे मान्यता दे वही अधिकृत मुद्रा है, लेकिन इस के इतर, बाजार का अपना कानून है.

बाजार सरकारी मुद्रा को अनधिकृत रूप से प्रचलन से बाहर कर देता है. बाजार का यह अनधिकृत कानून 10 रुपए के 2 सिक्कों के प्रचलन को ले कर इन दिनों गरम है. 10 रुपए के जिस सिक्के पर 15 तिलियां हैं उसे कोई लेने को तैयार नहीं है. जब सिक्का बाजार में चलना ही नहीं है, दुकानदार, बस, टैक्सी, औटो वाले उसे स्वीकार करने को तैयार ही नहीं हैं तो आप भी उसे जेब में बोझ के रूप में नहीं रख सकते. इसी तरह की अफवाहें कुछ अन्य सिक्कों को ले कर भी चल रही हैं. आप भले ही समझाते रहें कि बैंक ने उसे बंद नहीं किया है लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं होता.

बात तब ज्यादा बिगड़ी जब बैंकों ने सिक्के लेने से मना कर दिया. स्थिति की गंभीरता को देखते भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल में एक सूचना जारी कर सिक्के नहीं लेने वाले कर्मचारी पर कार्यवाही करने की धमकी दी. बैंक ने स्पष्ट कहा है कि किसी भी बैंक का कोई भी बैंककर्मी सिक्के लेने से मना करेगा तो उस के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी. हर तरह के नोट और सिक्के बैंक कर्मचारियों को स्वीकार करने पड़ेंगे. सिक्के या नोट बदलने में आम लोगों को दिक्कत नहीं हो, देश के बैंकों को इस का ध्यान रखना है.

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