खादी को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार ने खादी वस्त्र निर्माण तथा इन की बिक्री का दायरा बढ़ाने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर प्रसारित अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देशवासियों से खादी का प्रचलन बढ़ाने के लिए हर व्यक्ति से कम से कम एक कपड़ा खादी से बना पहनने का आह्वान किया था. उस
के बाद गुजरात विश्वविद्यालय ने दीक्षांत समारोह में खादी पहनने की घोषणा कर के हलचल मचा दी और अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी मुंबई ने दीक्षांत समारोह में इस्तेमाल होने वाले 3,500 वस्त्र बनाने का आदेश दे कर खादी को सम्मानित किया है. सरकार अब खादी को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग यानी केवीआईसी से बाहर ला कर इस का दायरा बढ़ाना चाहती है और उसे रेमंड तथा फैबइंडिया के ब्रैंड की तरह लोकप्रिय बनाना चाहती है. ये मशहूर ब्रैंड जिस तरह के लोकप्रिय कपड़े बना रहे हैं, खादी विभाग से उसी तरह के कपड़े बनाने के लिए कहा गया है. केवीआईसी देश के हर वर्ग की ख्वाहिश के अनुरूप खादी वस्त्र तैयार करना चाहता है, इस के अलावा वूलन, लिनेन, सिल्क में खादी का लोकप्रिय पहनावा तैयार करने पर विचार किया जा रहा है.
सरकार का यह प्रयास अच्छा है और इस से खादी में नई ताकत आएगी. लेकिन इस से गांव को जोड़ने का प्रयास होना चाहिए. खादी को स्थानीय स्तर पर रोजगार का बड़ा जरिया बनाया जा सकता है लेकिन स्थानीय स्तर पर कौशल विकास के साथ ही आधुनिक मशीनें भी स्थापित करनी होंगी. हवाईअड्डे पर दुनिया का सब से बड़ा चरखा लगा कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नमन किया जा सकता है. उन्होंने चरखे को ग्रामीण जीवन की अर्थव्यवस्था का आधार बताया था.