134 अरब से ज्यादा आबादी वाले देश भारत में 50 करोड़ लोग ही इंटरनेट पर चहलकदमी करते हैं. इन में से आधे से कम यानी 25 करोड़ से भी कम इंटरनेट यूजर्स औनलाइन शौपिंग करते हैं. वहीं, अनुमान यह है कि वर्ष 2021 तक देश में इंटरनेट यूजर्स की तादाद 82.9 करोड़ हो जाएगी. रिलायंस जियो को देश में डिजिटल हाईवे खड़ा करने का श्रेय दिया जा सकता है. ऐसे में देश में इंटरनेट के जरिए औनलाइन शौपिंग सेक्टर में हैंडसम ग्रोथ होना स्वाभाविक है.

देश में अब तक औनलाइन रिटेल के इर्दगिर्द डिजिटल कौमर्स को ले कर बहस होती रही है. सच यह है कि देश में 50 करोड़ इंटरनेट यूजर्स में आधे से भी कम औनलाइन शौपिंग करते हैं. औनलाइन शौपिंग में आने वाले समय में ग्रोथ होने की उम्मीद पर ही शायद अमेरिका की एमेजौन और वौलमार्ट भारत में अरबों डौलर निवेश कर रही हैं.

वहीं, चीन के निवेशकों की भी भारत में कम दिलचस्पी नहीं है. वहां की औनलाइन दिग्गज अलीबाबा ने भारत की डिजिटल पेमेंट कंपनी पेटीएम में बड़ा निवेश किया है. उधर जापान का सौफ्टबैंक भारतीय इंटरनेट सेगमेंट के लिए बड़ा निवेशक रहा है.

अनुमान यह भी है कि भारतीय इंटरनेट कौमर्स सेक्टर के लिए 2018 की तरह 2019 में प्रदर्शन करना आसान नहीं होगा. वर्ष 2018 के 6 महीनों में जहां बड़ी बिजनेस डील हुई, वहीं दूसरी छमाही में इस पर रेगुलेटरी सख्ती का चाबुक पड़ा. पिछले वर्ष के आखिरी महीने के आखरी हफ्ते में ईकौमर्स सेक्टर के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियम सख्त किए जाने का एलान किया गया, जिस से देश की सब से बड़ी औनलाइन रिटेल कंपनियों की मुसीबत बढ़ गई है.

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