वैश्विक पुनर्बीमा कंपनी स्विस रे की 2015 की एक रिपोर्ट के मुताबिक जितनी बीमा सुरक्षा हमारे पास होती है व जितनी होनी चाहिए उसमें बहुत फर्क होता है. रिपोर्ट में बोला गया कि यह फर्क 92 प्रतिशत तक होता है जिसका अर्थ है कि बीमा 10 प्रतिशत से भी कम इंडियन जनता की वित्तीय सुरक्षा की जरूरतें पूरी करता है.
दूसरे शब्दों में हिंदुस्तान में जिंदगी बीमा सुरक्षा पर यदि 100 रुपये खर्च किये जाने हैं तो उसमें से सिर्फ 7.8 रुपया ही खर्च हो रहा है जिससे जिंदगी की अनिश्चितताओं के प्रति हमारे परिवार की वित्तीय सुरक्षा में 92.2 प्रतिशत का फर्क हो जाता है.
परिवार का जिंदगी स्तर बरकरार रखने के लिए कितने का बीमा महत्वपूर्ण है, इसे समझने के लिए एक उदाहरण पर गौर करते हैं. 50 लाख रुपये की बीमा सुरक्षा छह प्रतिशत की दीर्घकालिक ब्याज दर के आधार पर 25,000 रुपये की मासिक आय प्रदान करेगी. इसमें यह माना जा रहा है कि परिवार जिंदगी बीमा की राशि को सावधि जमा जैसी सुरक्षित योजनाओं में रखेगा जिस पर दीर्घकालिक स्तर पर छह प्रतिशत का ब्याज मिलेगा. अब देखते हैं कि क्या आज यह 25,000 रुपये प्रतिमाह किसी शहरी मध्य वर्गीय परिवार के खर्चे के लिए बहुत ज्यादा होगा?
हममें से कई जिंदगी बीमा का महत्व समझते हैं लेकिन अक्सर हमें पता नहीं होता है कि हमें वित्तीय तौर पर सुरक्षित रहने के लिए कितनी बीमा सुरक्षा की आवश्यकता है. इसका पता हम निम्नांकित चार चरणों की प्रक्रिया के जरिए लगा सकते हैं.
पहला चरण : अपने कुल मासिक घरेलू खर्च (विभिन्न किस्म के ईएमआई) में से ऋण का मासिक तौर पर देय ईएमआई घटायें. इससे आपको अपने हर माह होने वाले खर्च का पता चलता है जिसकी व्यवस्था आपको करनी है. अब अपने इस मासिक घरेलू खर्च को 12 से गुणा करें तो आपको अपने सालाना खर्च का पता चलेगा.
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