बासमती चावल के मामले में भारत को पीछे छोड़ने की पाकिस्तान की कोशिशों को करारा झटका लगा है. आईपीएबी यानी इंटेलैक्चुअल प्रोपर्टी एपीलेट बोर्ड ने पाकिस्तान के बासमती चावल को जीआई यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग देने की अपील को खारिज कर दिया है, इसलिए उम्मीद बढ़ी है कि अब भारत के बासमती को जीआई टैग मिल सकता है. बता दें कि लाहौर स्थित पाकिस्तान की बासमती ग्रोवर्स एसोसिएशन ने भारतीय संस्था एपीडा यानी कृषि प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की अर्जी को चुनौती देने के लिए आईपीएबी का रुख किया था. एपीडा ने भारत के 7 राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मूकश्मीर और उत्तराखंड में उगाए जाने वाले बासमती चावल के लिए जीआई टैग की मांग की थी.

बीजीए यानी बासमती ग्रोवर्स एसोसिएशन ने भारत के बासमती चावल की समग्रता में जीआई टैग दिए जाने की खिलाफत की थी. उस ने दलील दी थी कि चेन्नई में जीआई के असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने मध्य प्रदेश के इलाकों में उगाए जाने वाले चावल की क्वालिटी पर सवाल उठाए थे. हालांकि आईपीएबी ने इन दलीलों को खारिज कर दिया था और कहा था कि बीजीए नियमों का पालन करने में नाकाम रहा है 

बता दें कि जीआई टैग खेती में उगाई जाने वाली चीजों, प्राकृतिक या बनी हुई चीजों के लिए जारी किया जाता है, इसलिए इन में अपने भौगोलिक मूल से संबंधित कोई खास बात, क्वालिटी या दूसरी खूबी होनी चाहिए.

अभी तक तो भारत और पाकिस्तान की जंग ज्यादातर क्रिकेट के स्टेडियमों में होने वाले बड़ेबड़े मुकाबलों में ही देखी जाती थी. पर अब बासमती चावल की इस नई जंग से दोनों देशों के बीच एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है. यहां भी मुकाबला दिलचस्प ही रहा. 

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