अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने वाले हैं तो आपको बांड बाजार की समझ भी होनी चाहिए. शेयर खरीद कर आप कंपनी में हिस्सेदारी खरीदते हैं और बांड खरीद कर आप इसे जारी करने वाले को एक तरह का उधार देते हैं. इस उधार के लिए बांड जारी करने वाला आपको ब्याज देता है, जिसे कूपन कहते हैं. जब भी सरकार या फिर किसी कंपनी को उधार की जरूरत होती है तो वह बांड जारी करती है. इस पर निवेशकों को तय ब्याज दर की पेशकश की जाती है. अगर आपने किसी बांड में एक लाख रुपये का निवेश किया है और उसका कूपन है 8 फीसद तो बांड के परिपक्व होने तक हर साल आपको 8,000 रुपये मिलेंगे. परिपक्वता की अवधि समाप्त होने पर आपको आपके एक लाख वापस मिल जाएंगे.

बौंड एक तरह की सिक्योरिटी है जिसमें एक निवेशक, किसी निगम या सरकार से बौंड खरीदता है. इस अवधि के दौरान बौंड का जारीकर्ता, बौंड के द्वारा कमाए गए ब्याज को चुकाता है.

कूपन

कूपन बौंड पर मिलने वाला ब्याज है. 10,000 रुपये के बांड पर 5 फीसद का कूपन आपको मैच्योरिटी तक हर साल आपको 500 रुपये की राशि देगा.

यील्ड

परिपक्वता के वक्त मिलने वाली अंतिम राशि को यील्ड टु मैच्योरिटी कहा जाता है. आप बौंड की खरीद-बिक्री भी कर सकते हैं. अगर आपने सस्ते में बौंड खरीदा है तो आपको ज्यादा यील्ड मिलेगा.

मैच्योरिटी

बांड जिस समय में परिपक्व होता है उसे मैच्योरिटी कहते हैं. यह कुछ महिनों से 50 साल तक हो सकता है.

इश्यू साइज

अगर कोई संस्था 1,000 रुपये के फेस वैल्यू वाले 10 लाख बांड बाजार में उतारती है तो इश्यू साइज 100 करोड़ (10 लाख गुणा 1,000 रुपये) का हुआ.

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