इस मॉनसून में स्वयं को न सिर्फ बरसाती और छातों से खुद को सुरक्षित बचाए रखने की कोशिश करें बल्कि कुछ खास बीमा कवर और एड-ऑन राइडर के चयन पर भी खास ध्यान दें. याद रखिए कि ये महज अतिरिक्त सुरक्षा वाले कवर हैं और आपको अपने लिए नियमित स्वास्थ्य और समग्र मोटर बीमा पॉलिसी लेनी चाहिए.
स्वास्थ्य बीमा
डेंगू का डर असली है और इससे संबंधित दावे बढ़ते जा रहे हैं. एसबीआई जनरल इंश्योरेंस ने डेंगू कवर के लिए निपटान मामलों में तेजी दर्ज की है. जहां 2013-14 में डेंगू से संबंधित दावों की संख्या 34 थी वहीं 2016-17 में यह बढ़कर 943 हो गई. कंपनी में प्रोडक्ट डेवलपमेंट के प्रमुख पुनीत साहनी कहते हैं, 'संक्रमित बीमारियों की वजह से स्वास्थ्य जटिलता इस उद्योग में सर्वाधिक है, चाहे मलेरिया हो, डेंगू हो या कोई अन्य संक्रमण.'
रेग्युलर स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी : इसके तहत तभी मलेरिया या डेंगू के लिए कवर मिलेगा जब पॉलिसीधारक कम से कम 24-घंटे अस्पताल में भर्ती रहे. कई मामलों में दवाओं के जरिये ही उपचार किया जा सकता है. ऐसी सूरत में स्टैंडर्ड पॉलिसी में उपचार के लिए भुगतान नहीं कराया जाएगा.
'यदि आपकी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) कवरेज शामिल है तो इसमें ऐसे उपचार को शामिल किया जाएगा जिसमें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत न हो. अस्पताल में भर्ती होने की सूरत में भी इस पर विचार किया जाएगा कि किसी खास बीमारी पर क्लेम के संबंध में कोई सीमा तो नहीं है.'
हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस यूनिट के संयुक्त प्रमुख वैद्यनाथन रमानी ने कहा, 'डेंगू के लिए टेस्ट का खर्च 3,500-4,000 रुपये आता है और इससे संबंधित उपचार में खास दवा लेने की सलाह दी जाती है. यदि आपके स्वास्थ्य बीमा में ओपीडी कवरेज शामिल नहीं है तो ये खर्च शामिल नहीं होंगे. ऐसे में खास बीमारी से संबंधित कवर उपयोगी साबित हो सकता है.' ओपीडी कवर वाले स्टैंडर्ड स्वास्थ्य बीमा के लिए प्रीमियम इसके बगैर बीमा की तुलना में 15-20 फीसदी अधिक होगा. हालांकि मलेरिया के लिए कोई खास कवर नहीं है, लेकिन डेंगू के लिए दो कवर मौजूद हैं. ये डेंगू के उपचार से संबंधित खर्च के लिए ही क्लेम की सुविधा मुहैया कराते हैं और इसकी प्रतीक्षा अवधि 15 दिन है.
डेंगू की चिकित्सा : कई अस्पतालों में डेंगू केयर कवर अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में 50,000 रुपये तक का खर्च मुहैया कराता है, जबकि ओपीडी खर्च की सीमा 10,000 रुपये है. इसका सालाना प्रीमियम करीब 444 रुपये है और पॉलिसीधारक की उम्र या अन्य कारणों से यह घटता-बढ़ता नहीं है. इसमें स्वास्थ्य जांच, परामर्श खर्च, घर पर चिकित्सा और दवाइयों का खर्च शामिल है. यह गैर-चिकित्सीय खर्च के लिए भी कवर प्रदान करता है, बशर्ते कि आपने नेटवर्क में शामिल अस्पताल में भर्ती होने के दौरान शेयर्ड एकोमोडेशन (यानी अन्य मरीजों के साथ मिलकर ठहरने की सुविधा) का विकल्प चुना हो. यह प्लान 1 लाख रुपये की बीमित रकम वाले वैरिएंट में करीब 578 रुपये के प्रीमियम पर उपलब्ध है. अपोलो म्यूनिख हेल्थ इंश्योरेंस के मुख्य कार्याधिकारी एंटनी जैकब कहते हैं, 'सुनिश्चित करें कि खास बीमारियों से जुड़ी पॉलिसी उसमें शामिल बीमारियों के लिए समग्र कवरेज प्रदान करती हो.'
डेंगू शील्ड : एक खास पॉलिसी, डीएचएफएल प्रामेरिका लाइफ इंश्योरेंस की डेंगू शील्ड पॉलिसी डेंगू बुखार की जांच में एक वित्तीय मदद प्रदान करती है, हालांकि इसमें शर्त शामिल है.
ये शर्त हैं : प्लेटलेट का स्तर घटकर 100,000 से नीचे पहुंच जाना, हेमोटोक्रिट अपने उच्चतम स्तर से 20 फीसदी से अधिक बढ़ जाना, इम्यूनोग्लोबलिंस/ पीसीआर टेस्ट, डेंगू बुखार या डेंगू शॉक सिंड्रोम की जांच के लिए चिकित्सक की जरूरत साबित करना और न्यूनतम 48 घंटे तक अस्पताल में भर्ती होना.
यदि ऑनलाइन खरीद रहे हैं तो इसका खर्च 25,000 रुपये के किसी कवर के लिए करीब 365 रुपये सालाना आएगा. डीएचएफएल प्रामेरिका लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी अनूप पब्बी कहते हैं, 'विशेष बीमा कवर सस्ते और खरीदारी में आसान होने चाहिए. इनमें क्लेम की प्रक्रिया आसान होनी चाहिए और क्लेम की अनावश्यक शर्तों से बचा जाना चाहिए.'
वाहन बीमा
मॉनसून मोटर वाहनों के लिए भी कई तरह की समस्याएं लेकर आता है. मुख्य समस्या जल भराव की होती है जो आपकी कार के इंजन को नुकसान पहुंचा सकती है. 'हमें आम तौर पर पेड़ गिरने से कार के आगे का मुख्य शीशा बदलने, या किसी अन्य वाहन की टक्कर (संभवत: कम दृश्यता की वजह से) से पिछले हिस्से की बॉडी क्षतिग्रस्त होने, कभी कभी तो इंजन और उसके कलपुर्जे क्षतिग्रस्त होने से जुड़े क्लेम भी मिलते हैं.'
'यदि कार बाढ़ वाले इलाके में फंस गई है तो इग्नीशन पर दबाव न डालें. इससे इंजन का हाइड्रोस्टेटिक लॉक हो सकता है जिससे इसे पूरा बदलने की जरूरत पड़ सकती है, जो काफी महंगा साबित होगा. बीमा कंपनियां आम तौर पर इस तरह के क्लेम को नकार देती हैं, क्योंकि इसे स्वाभाविक नुकसान माना जाता है.'
इंजन की सुरक्षा
इससे पानी भर जाने से इंजन या उसके कलपुर्जों की खराबी को कवर करने में मदद मिल सकती है. इंजन के लिए नुकसान से संबंधित खर्च काफी महंगा हो सकता है. इसे हाइड्रोस्टेटिक लॉक कवर या इंजन और गियर बॉक्स प्रोटेक्शन भी कहा जाता है. अगर वाहन को ठीक करना मुमकिन ही नहीं है तो इसे टोटल लॉस यानी पूरी तरह क्षतिग्रस्त कहा जाता है. ऐसी सूरत में खरीद के वक्त की वास्तविक कीमत के रुप में भुगतान किया जाता है. यह सुविधा रिटर्न टू इनवॉयस बीमा के जरिए हासिल की जा सकती है.
रोडसाइड असिस्टेंस
यह कवर उन लोगों के लिए उपयोगी है जो अक्सर लंबी दूरी की यात्रा करते हैं. इस कवर के तहत बीमा कंपनी किसी भी मैकेनिकल ब्रेकडाउन की जगह पर सहायक सेवा मुहैया कराएगी. इसमें ऑन-साइट बैटरी जम्पस्टार्ट, टायर रीप्लेसमेंट, ईंधन भरना और टोविंग सर्विस शामिल हैं. कुछ कवर में वैकल्पिक वाहन या होटल में ठहरने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है. इंजन प्रोटेक्ट के लिए शुल्क वाहन की कुल कीमत का लगभग 0.2 से 1 फीसदी तक है. वैसे यह शुल्क अलग अलग ब्रांड और कार के मॉडल पर निर्भर करता है. यह आपके कुल प्रीमियम का 5 से 10 प्रतिशत के आसपास होगा. कुछ बीमा कंपनियां संपूर्ण पॉलिसी के साथ रोडसाइड असिस्टेंस मुफ्त में देती हैं जबकि कुछ इसके लिए निश्चित शुल्क वसूलती हैं.