सरकार सड़क, रेलवे और पावर सेक्टर को और 25,000 करोड़ रुपये देने की तैयारी में है. बजट के दौरान इन्हें जितनी रकम देने का वादा किया गया था, यह पैसा उससे अलग है. इससे इन क्षेत्रों पर सरकारी खर्च बढ़ेगा, जिससे इकॉनमी की रफ्तार तेज करने में मदद मिलेगी. अतिरिक्त फंड के लिए तीनों मंत्रालयों (रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवेज, रेलवे और पावर) की फाइनैंस मिनिस्ट्री से बातचीत आखिरी दौर में है.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भी इन सेक्टरों में ऐलोकेशन बढ़ाने के पक्ष में है. सरकार का मानना है कि उसने हाल में जो रिफॉर्म्स किए हैं, उनके साथ इन सेक्टर्स पर खर्च बढ़ाने से इकनॉमिक ग्रोथ तेज होगी. एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि फाइनैंस मिनिस्ट्री ने मंत्रालयों को वैसे प्रॉजेक्ट्स की फाइनल लिस्ट पेश करने को कहा है, जिसकी फंडिंग एक्सट्रा फंड से की जाएगी.

रोड मिनिस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, मंत्रालय ने बजट ऐलोकेशन के अलावा 15,000 करोड़ की मांग की थी. हालांकि, फाइनैंस मिनिस्ट्री ने इसमें से 10,000 करोड़ रुपये देने का वादा किया है. मौजूदा साल के लिए हाइवे कंस्ट्रक्शन का टारगेट 15,000 किलोमीटर (41 किलोमीटर रोजाना) है, जिस पर कुल 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे.

रेलवे मिनिस्ट्री को 12,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. रेवेन्यू में गिरावट और प्रॉजेक्ट कॉस्ट में बढ़ोतरी के चलते रेलवे को फंड की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. रेलवे बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, 'अडिशनल ग्रॉस बजटरी सपॉर्ट (जीबीएस) का इस्तेमाल अटके प्रॉजेक्ट्स को क्लीयर करने, रेलवे लाइनों के आधुनिकीकरण और अपग्रेडेशन और कुछ रूट्स पर भीड़ कम करने में किया जाएगा. इलेक्ट्रिफिकेशन से जुड़े कुछ प्रॉजेक्ट्स पर भी काम तेज किया जा सकता है.'

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