निजी कंपनियां लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए अपने स्तर पर लगातार अनूठा प्रयास कर रही हैं. दिल्ली सहित 5 राज्यों के हाल में हुए विधानसभा चुनाव में इन कंपनियों ने इसी तरह की पहल की थी और अब आम चुनाव में दुनिया के सब से बड़े लोकतंत्र में वे फिर वही भूमिका निभा रही हैं. कंपनियां जानती हैं कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने की सभी की जिम्मेदारी है, अपने इसी फर्ज को समझते हुए देश की महत्त्वपूर्ण कंपनियां अपने कर्मचारियों को मतदान करने के लिए न सिर्फ प्रोत्साहित कर रही हैं बल्कि कई कंपनियों ने मतदान के दिन बाकायदा छुट्टी की घोषणा कर दी है.
टाटा, आरपीजी ने कर्मचारियों को उस दिन मतदान कर के देर से कार्यालय आने की छूट दी है जबकि डाबर, इन्फोसिस और विप्रो जैसी कंपनियों ने वोट के दिन छुट्टी घोषित कर दी है. कुछ कंपनियां मतदाताओं को मतदान करने के लिए जागरूक बनाने का अभियान छेडे़ हुए हैं और इस के लिए कई जगह कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. रिलायंस ने तो अपने स्टाफ के पंजीकरण के लिए एक स्वयंसेवी संगठन के साथ गठजोड़ भी किया है.
स्टाफ के सभी सदस्यों को मतदान करने के लिए प्रेरित करने के लिए कंपनियों के कार्यालयों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. देश की सभी बड़ी कंपनियों की यह पहल स्वागतयोग्य है और इस के लिए उन्हें सराहा भी जा रहा है. कंपनियां तो अपना योगदान दे रही हैं, कर्मचारियों को अपना फर्ज निभाना है. उन्हें यह सुनिश्चित करना है कि वे छुट्टी का उपयोग मतदान के लिए जरूर करें.
लोकतंत्र के इस महापर्व में हर वोट कीमती है. यह सोचना हमारी भूल होगी कि मेरे मतदान नहीं करने से कुछ फर्क नहीं पड़ता. देश के प्रत्येक वोटर की जिम्मेदारी है कि वह मतदान में हिस्सा ले और अपने महान लोकतंत्र को प्रभावी बनाने के लिए मतदान केंद्र पर जा कर वोट डाले.
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