देश का हर घर केबल औपरेटरों की मनमानी से लंबे समय तक पीडि़त रहा है. उस सेवा के खट्टे अनुभव हर व्यक्ति की यादों का अटूट हिस्सा हैं. कई जगह आज भी लोग इस के संचालकों के दुर्व्यवहार से पीडि़त हैं. जिन नगरों में सरकार ने सख्ती दिखाते हुए सैट टौप बौक्स सेवा शुरू की है वहां भी केबल औपरेटरों की मनमानी थमी नहीं है.राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ही कई औपरेटर हैं जो निर्धारित फौर्म में भरी गई सूचना के अनुसार उपभोक्ता को सेवा नहीं दे रहे हैं. हर माह केबल सेवा के बदले दिए जाने वाले भुगतान के लिए रसीद देने का तो सवाल ही नहीं उठता. औपरेटरों ने कार्ड बना रखे हैं और उसी पर सेवा के बदले लिए जाने वाले भुगतान की राशि दर्ज होती है. यह मनोरंजन कर चोरी का उन के लिए सुविधाजनक उपाय है. इन औपरेटरों की मनमानी से परेशान उपभोक्ता डीटीएच सेवा की तरफ भाग रहे हैं लेकिन वहां भी परेशानी है. सैट टौप बौक्स का बाजार फैल रहा है, इस से इनकार नहीं किया जा सकता. सरकार की इसे हर शहर में लागू करने की योजना है. सरकार सख्ती करे तो इस में पारदर्शिता को बरकरार रखा जा सकता है मगर चप्पेचप्पे पर बैठे घपलेबाज पारदर्शिता से डरते हैं और वे ऐसे सभी प्रयासों को व्यर्थ करने की कोशिश में लगे रहते हैं.

बहरहाल, सैट टौप बौक्स बनाने की कंपनियों में होड़ लग गई है. ये सारी कंपनियां‘मेक इन इंडिया’ नारे के तहत अपना कारोबार बढ़ाना चाहती हैं. भारतीय इलैक्ट्रौनिक्स बाजार को अपनी कुल मांग के लिए 65 फीसदी तक आयात पर निर्भर रहना पड़ता है. हाल में दुपहिया वाहन बनाने वाली मशहूर कंपनी हीरो इंडिया ने सैट टौप बौक्स निर्माण की घोषणा की है और कंपनी की योजना इस कारोबार में अगले कुछ साल में 500 करेड़ रुपए खर्च करने की है.

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