आप भी इस बात से सहमत होंगे कि विवाह के बाद चाहे महिला हो या पुरुष दोनों के जीवन में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं तो आपके बचत और निवेश की शैली में भी शादी के बाद परिवर्तन होना स्‍वाभाविक है. इसके लिए आप खुद को थोड़ा व्यवस्थित करते हुए वास्तविक फाइनेंशियल प्‍लानिंग तैयार करने की शुरुआत करें.

पति-पत्‍नी दोनों मिलकर बनाएं निवेश की योजना

- जहां पहले आपकी बचत का लक्ष्य केवल बचत और निवेश करना था, वहीं ये समय अब परिवार के भविष्य को देखते हुए वित्तीय योजना बनाने का होगा.

- पति-पत्नी दोनों को मिलकर निवेश की योजना बनानी चाहिए. योजना ऐसी होनी चहिए जिससे दोनों ही लोगों को फायदा भी हो और हर तरह से राहत भी मिले.

शादी के बाद करें फाइनेंशियल प्‍लानिंग के इन पहलुओं पर गौर

- सर्वप्रथम आपको यह देखने की जरूरत है कि आपका पर्याप्त इंश्‍योरेंस है या नहीं, खास तौर पर तब जब आपकी पत्नी (या पति) आप पर आर्थिक रूप से निर्भर हों. इससे आपके साथ किसी           प्रकार का हादसा हो जाने की दृष्टी में आपके पति या पत्नी को आर्थिक कष्ट न झेलना पड़े.

- साथ ही घर के मासिक खर्च के अलावा अन्य आर्थिक जिम्मेदारियों का निर्वाह करने में भी कियी को कोई बाधा न आए.

- जिम्‍मेदारी बढ़ने के साथ, यानि कि आपके मां या पिता बनने के बाद आपको अपनी इंश्‍योरेंस संबंधी जरूरतों की समीक्षा जरूर करनी चाहिए.

पहले निर्धारित करें लक्ष्‍य फिर करें निवेश

- मान लीजिए कि खास समय सीमा में आपने अपने लिए तीन लक्ष्य निर्धारित किए हैं. आप कुछ महीनों के अंदर अपना घर खरीदना चाहते हैं जिसके लिए डाउन पेमेंट की व्यवस्था करनी है, तो ल   यही आपकी तात्कालिक जरूरत है जिसकी पूर्ति आप अपने सेविंग अकाउंट में जमा की गई राशि से कर सकते हैं.

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