नए साल के लिए संकल्प लेने जा रहे हैं तो जरा रुकिए. इस में समृद्धि बढ़ाने का संकल्प भी जोड़ लीजिए क्योंकि बचत व निवेश पर ध्यान देना न केवल आप के परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा बल्कि आप अपने पैसे का पूरा लाभ भी उठा पाएंगे. कैसे? बता रही हैं  आरती श्रीवास्तव.

‘नया साल आप के लिए शुभ व समृद्धिदायक हो’, नववर्ष की शुभ कामनाएं देते समय लोग यही वाक्य सब से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. संकल्प कुछ अच्छी आदतों को अपनाने, बुरी आदतों को त्यागने, कोई नई चीज सीखने आदि को ले कर होते हैं. मकसद यह होता है कि हमारा जीवन बेहतर बने, हम अपने मकसदों को पूरा कर सकें. चूंकि सभी की प्राथमिकताएं एक जैसी नहीं होतीं, इसलिए संकल्प भी अलगअलग होते हैं. आने वाले साल के लिए आप ने भी कुछ संकल्प लिए होंगे. क्यों न इस में समृद्धि बढ़ाने का संकल्प भी जोड़ दें.

बचत और निवेश के जरिए हम धन बचा और बढ़ा सकते हैं और इस से जीवन में बेहतर सुखसुविधाएं हासिल कर सकते हैं. समृद्धि का मतलब यहां यह है कि हमारे पास अपनी वाजिब जरूरतों के लिए धन मौजूद हो.

आज के उपभोक्तावादी दौर में लोग खर्च ज्यादा कर रहे हैं जबकि निवेश या बचत के बहुत से मामलों में उन का ध्यान हटता चला जा रहा है. युवा प्रोफैशनलों को आज शानदार पैकेज मिल रहा है और वे कम उम्र में आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं. यह स्वतंत्रता उन्हें भावी जरूरतों के लिए बचत करने के प्रति कहीं लापरवाह भी बना रही है. अनुभवी लोगों में भी कई ऐसे हैं जिन्हें सही प्रकार से निवेश नहीं करने के कारण नुकसान उठाना पड़ता है.

महेश बनर्जी को लें. एक पब्लिक सैक्टर कंपनी से सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें 18 लाख रुपए की रकम प्राप्त हुई. इस रकम की उन्हें तुरंत कोई जरूरत नहीं थी तो भी यह रकम सालभर तक उन के बचत खाते में ही पड़ी रही. अगर इस रकम को उन्होंने फिक्स्ड डिपौजिट में रखा होता तो उन्हें ब्याज के रूप में कम से कम 1 लाख रुपए और मिले होते. बाद में ब्याज की यह रकम उन के और उन के परिवार के काम आ सकती थी.

अन्य मामलों की तरह वित्तीय मामलों में भी सुस्ती और टालमटोल हमारा नुकसान करती है. यह सच में अफसोस की बात है कि एक तरफ लोग पैसे की तंगी की बात करते हैं और दूसरी तरफ निवेश के बेहतर विकल्पों, जो हमें अधिक लाभ पहुंचा सकते हैं, पर ध्यान नहीं देते. निवेश के मामलों में देरी करना जीवन में आगे चल कर आप पर वित्तीय बोझ को बढ़ा सकता है और हो सकता है कि कोई अपनी दीर्घकालिक जरूरतों के लिए जरूरी रकम न जुटा पाए.

एक उदाहरण देखते हैं. मुद्रास्फीति की वर्तमान दर के हिसाब से एमबीए की पढ़ाई पर आने वाला खर्च जो अभी औसतन 8 लाख रुपए है, 15 सालों के बाद बढ़ कर 40 लाख रुपए हो जाने का अनुमान है. आज कितने मातापिता ऐसे हैं जो अपने रिटायरमैंट फंड में हाथ लगाए बगैर उस समय इस खर्च को पूरा कर पाने की स्थिति में होंगे?

कुछ समय पहले देश के 12 शहरों में कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार 72 प्रतिशत मातापिता के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता संतान की शिक्षा है. लेकिन इन्हीं मातापिता में से 81 प्रतिशत ने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें यह पता नहीं है कि बच्चे की शिक्षा पर खर्च करने के लिए जरूरी धनराशि कहां से आएगी? इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि बच्चों की उच्चशिक्षा के लिए समय रहते बचत शुरू कर दी जाए ताकि आगे चल कर यह बोझ न बने.

बच्चों की शिक्षा तो अपनी जगह पर है ही, अगर घर लेना हो, बच्चों की शादी करनी हो, कार खरीदनी हो तो भी आप को बड़ी रकम की जरूरत पड़ेगी. इन सभी के लिए ऋण भी मिल सकता है लेकिन बेहतर होगा कि ऋण की राशि आप कम से कम रखें क्योंकि लिए गए ऋण पर आप को ब्याज भी तो देना होगा. आप की भावी बड़ी जरूरतें क्या हो सकती हैं, इन जरूरतों पर लगभग कितना खर्च आएगा, यह सब आप के सामने स्पष्ट होना चाहिए. फिर अपनी आय को देखें और खर्च करने के अपने तरीके की भी समीक्षा करें.

हम में से काफी लोग ऐसे हैं जो कभी सोचते भी नहीं कि खर्च करने के ढंग में बदलाव ला कर वे अपने पैसे का अधिक मूल्य हासिल कर सकते हैं और अपनी बचत में बढ़ोतरी कर सकते हैं. हर शौपिंग में गैरजरूरी चीजें खरीदने पर भी हम थोड़ीथोड़ी कर बड़ी रकम खर्च कर डालते हैं. ब्रैंड लौयल्टी भी कई बार हमारा नुकसान करा डालती है.

एक ही ब्रैंड से चिपके रह कर उसी सामान के कम कीमत में उपलब्ध उसी या बेहतर क्वालिटी वाले विकल्पों पर हमारा ध्यान नहीं जाता. कुछ कंपनियां ऐसी हैं जो अपने ब्रैंड के लिए अपने ग्राहकों से अच्छी रकम वसूल कर डालती हैं जबकि ग्राहक का काम कम खर्च में भी चल सकता था. आप कंजूसी बिलकुल न करें लेकिन अगर कम, वाजिब खर्च करते हुए अपना काम चला लेते हैं तो निश्चित रूप से आप भविष्य के लिए ज्यादा बचा पाएंगे.

बचत अनुशासन व अनिवार्य बचत की दृष्टि से रेकरिंग बचत खाता का कोई जोड़ नहीं. हर महीने की किस्त तय कर इस खाते में जमा करते जाइए और साल दो साल से ले कर 10 साल के बाद ब्याज सहित रकम वापस ले लीजिए. यहां आप को फिक्स्ड डिपौजिट की दर से ब्याज मिलता है और इस ब्याज पर टीडीएस (स्रोत पर ब्याज की कटौती) लागू नहीं होती. कुछ बैंक यह भी विकल्प देते हैं कि हर माह समान किस्त न जमा कर सुविधानुसार राशि जमा की जाए. बैंक को आप हर माह खाते से किस्तें काटने का भी अधिकार दे सकते हैं यानी आप के लिए याद रखना भी जरूरी नहीं.

बचत खाते में जरूरत भर की ही रकम रखें. शेष राशि को फिक्स्ड या रेकरिंग खाते में डाल कर आप ज्यादा ब्याज कमा सकते हैं. बीच में जरूरत पड़े तो ये खाते समय से पहले बंद भी किए जा सकते हैं या जमा राशि के समकक्ष ऋण लिया जा सकता है.

बचत व निवेश पर ध्यान देना आप व आप के परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा और आप अपने पैसे का पूरा लाभ उठा पाएंगे. तो फिर क्यों न आज से ही इस की शुरुआत करें.

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