विश्व बाजार में सोने के दाम 15 माह के निचले स्तर पर पहुंचने और कच्चे तेल के दाम 28 माह में न्यूनतम स्तर पर रहने के बावजूद बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई में बिकवाली का दौर शुरू हुआ और सूचकांक दशहरे से पहले और उस के बाद कमजोर बना रहा. सितंबर के आखिरी सप्ताह के लगभग सभी दिनों के कारोबार के दौरान बाजार में मुनाफावसूली का दौर चला जिस की वजह से सूचकांक उठापटक के बीच लगभग कमजोर स्थिति में ही बंद होता रहा. अक्तूबर की शुरुआत में भी बाजार का माहौल नहीं सुधरा हालांकि पहले सप्ताह दशहरा, गांधी जयंती तथा ईद के कारण छुट्टी का माहौल रहा और बाजार सिर्फ 1 ही दिन खुल सका. दूसरे सप्ताह की शुरुआत भी कमजोरी के साथ हुई और यह माहौल करीब पूरे सप्ताह बना रहा.

सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिवस को तो बाजार 2 माह के निचले स्तर पर बंद हुआ. इन सब स्थितियों के बावजूद साल की शुरुआत से ही मोदीमय रहे बाजार में माहौल को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ के विकास दर के वर्तमान 5.4 प्रतिशत से बढ़ कर 6.5 प्रतिशत तक पहुंचने के पूर्वानुमान ने सकारात्मक बनाया. शेयर बाजार के मोदीमय होने की वजह से इस साल अब तक बाजार का निवेश 23 लाख करोड़ रुपए हो चुका है. सूचकांक पिछले 9 माह के दौरान 25.49 फीसदी की छलांग लगा चुका है. इसी दौरान भारतीय उद्योग परिसंघ यानी सीआईआई के औद्योगिक व्यापार विश्वास सूचकांक यानी इंडस्ट्रीज बिजनैस कौन्फिडैंस इंडैक्स के सूचकांक में इस तिमाही में भी लगातार दूसरी बार तेजी रही है. पहली तिमाही में इस सूचकांक में तेजी 57.4 प्रतिशत की थी जो दूसरी तिमाही में बढ़ कर 72.5 प्रतिशत तक पहुंची है. इन घटकों की वजह से बाजार घटतबढ़त के बावजूद मजबूत स्थिति में है.

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