साल 2022 तक विंड पावर प्रोडक्शन 60 हजार मेगावाट तक पहुंचाने के लिए सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने पुराने या बंद हो चुके विंड पावर प्रोजेक्ट्स को शुरू करके उनके कैपेसिटी तीन से चार गुणा अधिक करने का निर्णय लिया है. इसके लिए सरकार ने इंडस्ट्री को इन्सेंटिव देने की घोषणा की है. मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (एमएनआरई) दवारा विंड पावर प्रोजेक्ट्स की रिपावरिंग पॉलिसी में इन इन्सेंटिव की घोषणा की है.
क्या है मकसद
साल 2010 से पहले देश में ज्यादातर लगे विंड टरबाइन की कैपेसिटी 500 किलोवाट से कम है, जिनकी कुल पावर कैपेसिटी 3000 मेगावाट के आसपास है. सरकार को उम्मीद है कि इन टरबाइन और जगह का सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो इन प्रोजेक्ट्स की कैपेसिटी तीन से चार गुणा बढ़ाई जा सकती है.
क्या मिलेगा इन्सेंटिव
पॉलिसी में घोषणा की गई है कि जिन विंड पावर प्रोजेक्ट्स की कैपेसिटी 1 मेगावाट या उससे कम है, उन्हें रिपावरिंग के लिए प्रेरित किया जाएगा. ऐसे प्रोजेक्ट्स को सरकार की ओर से इन्सेंटिव दिया जाएगा. इन्सेंटिव के रूप में इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (इरेडा) की ओर से दिए जाने वाले लोन के इंटरेस्ट रेट में 0.25 फीसदी की छूट दी जाएगी. यह छूट इरेडा द्वारा नए विंड पावर प्रोजेक्ट्स को दिए जाने वाले लोन के इंटरेस्ट रेट के अलावा होगी. इरेडा द्वारा नए विंड पावर प्रोजेक्ट्स को कम इंटरेस्ट रेट पर लोन दिया जाता है.
इसके अलावा इन रिपावरिंग प्रोजेक्ट्स को वे सब बेनिफिट्स मिलेंगे, जो नए विंड पावर प्रोजेक्ट्स को दिए जा रहे हैं. इसके अलावा स्टेट्स द्वारा नए विंड पावर प्रोजेक्ट्स को दिए जा रहे बेनिफिट्स भी इन प्रोजेक्ट्स को दिए जाएंगे.