सरकार चाहती है कि बैंक कुछ बड़े लोन डिफॉल्टर्स पर सख्ती करें ताकि दूसरों को कर्ज जल्द चुकाने की नसीहत मिले. रेगुलेटर्स के बीच विमर्श के बाद सरकार को बैड लोन पर एक नोट सौंपा गया है. सरकार और रिजर्व बैंक का मानना है कि नोट में जो उपाय सुझाए गए हैं, उनको कुछ बड़े लोन डिफॉल्टर्स पर आजमाया जाना चाहिए.

माल्या अभी किंगफिशर एयरलाइंस के 9,000 करोड़ रुपये के लोन डिफॉल्ट में बैंकों और जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं. एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट उनसे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी पूछताछ करना चाहता है. माल्या मार्च के बाद से विदेश में रह रहे हैं. उनका कहना है कि उन्होंने कोई गड़बड़ी नहीं की है. उन्होंने कहा है कि वह बैंकों के साथ सेटलमेंट करने की कोशिश कर रहे हैं.

एसेट्स की पूरी जानकारी नहीं देने को लेकर माल्या के खिलाफ अदालत में अवमानना का मुकदमा चल रहा, वहीं बैंक उनकी एसेट्स बेचकर लोन रिकवरी करने की कोशिश में जुटे हैं. लोन डिफॉल्ट के मामले बढ़ने से सरकारी बैंकों का ग्रॉस बैड लोन मार्च 2016 तक 4.76 लाख करोड़ रुपये हो गया था.

रिजर्व बैंक की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी बैंकों का ग्रॉस एनपीए मार्च 2017 तक बढ़कर 10.1% पहुंच सकता है. आरबीआई ने बैंकों के लिए एसेट क्वॉलिटी रिव्यू (एक्यूआर) शुरू किया है, जिसकी वजह से पिछले कुछ क्वॉर्टर्स में बैंकों का रिजल्ट ऐतिहासिक तौर पर खराब रहा है. एक्यूआर के तहत आरबीआई ने बैंकों से बैड लोन की पहचान करने और बैलेंस शीट को साफ-सुथरा बनाने के लिए कहा है. लोन रिकवरी के लिए सरकार इंटर-मिनिस्ट्रियल कंसल्टेशंस भी कर रही है. सरकारी अधिकारी ने बताया कि इसके लिए खासतौर पर पावर और स्टील जैसे सेक्टर्स पर जोर दिया जा रहा है.

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