शेयर बाजार की रौनक फीकी पड़ी

बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई की रौनक देश की आर्थिक स्थिति के बेहतर रहने के अनुमान के बावजूद फीकी पड़ गई है. बजट सत्र के पहले चरण में कई महत्त्वपूर्ण विधेयक पारित होने और बजट को भी सकारात्मक बताने की विशेषज्ञों की राय के बावजूद बाजार ढीला पड़ा हुआ है. बजट सत्र के पहले चरण के आखिरी दिन यानी 20 मार्च को शेयर बाजार लगातार 3 दिन की गिरावट के साथ डेढ़ माह के निचले स्तर पर बंद हुआ. बाजार के जानकार मानते हैं कि अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने की खबर है. इस से विदेशी निवेशक घबराए हुए हैं और खरीदारी करने से डर रहे हैं.

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ के प्रबंध निदेशक क्रिस्टन लगार्डेस ने भी चेतावनी दी है कि अमेरिकी केंद्र रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाने का असर उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ सकता है. यही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत भी और निचले स्तर तक पहुंच सकती है. इस का भी बाजार पर नकारात्मक असर पड़ेगा. पिछले सप्ताह भी बाजार गिरावट पर बंद हुआ था और सप्ताह के दौरान सूचकांक 946 अंक यानी 3.22 फीसदी तक गिर गया था. इस की वजह थोक मूल्य सूचकांक का फरवरी में 5.37 फीसदी पहुंचना बताया गया जो जनवरी में 5.19 फीसदी पर था. विशेषज्ञों का मानना है कि थोक मूल्य सूचकांक बढ़ने से रिजर्व बैंक के ब्याज दर में कटौती की संभावनाएं घटी हैं जिस का बाजार पर विपरीत असर पड़ा है.

*

डिजिटल कारोबार 1 लाख करोड़ रुपए के पार

देश में औनलाइन कारोबार में क्रांति आ रही है. महानगरों अथवा नगरों में ही नहीं, छोटे कसबों और सड़क सुविधा से जुड़े गांवों तक के युवक औनलाइन खरीदारी कर रहे हैं. औनलाइन यात्रा टिकट बुक कराने के अलावा लोगों में मोबाइल फोन, सिलेसिलाए कपड़े, जूते, लैपटौप, टैबलेट, किताबें और यहां तक कि खाद्य वस्तुओं को भी खरीदने की होड़ लगी है. युवा वर्ग इस खरीदारी को ले कर कुछ ज्यादा ही उत्साहित नजर आ रहा है. नौकरीपेशा लोग भी औनलाइन खरीदारी में रुचि ले रहे हैं. महानगरीय जीवनशैली में लोगों के पास बाजार जा कर सामान खरीदने की फुरसत नहीं है, इसलिए औनलाइन सामान मंगा कर आवश्यकता की पूर्ति आसान हो रही है. यह कारोबार किस गति से लोकप्रिय हो रहा है, इस का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 2014 में एक रिपोर्ट के अनुसार 6.6 करोड़ लोगों ने डिजिटल खरीदारी की थी. इस अवधि में देश का डिजिटल कारोबार 53 फीसदी बढ़ कर 81 हजार करोड़ रुपए के पार पहुंच गया था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...