यह प्लानिंग रिटायरमैंट के बाद काम आती है. प्लानिंग कब व कैसे की जाए, यह जान लेना आवश्यक है. रिटायरमैंट के बाद सुजाता पटेल और उस के पति के पास आज के हिसाब से बहुत कम पैसे रह गए थे. दोनों ही कमाते थे पर बचत की जानकारी उन के पास नहीं थी. जब तक कमा रहे थे वे, दिल खोल कर खर्चा किया. उन्हें लगा था कि रिटायरमैंट के बाद मिलने वाला पैसा उन के लिए काफी होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने अपने रिटायरमैंट के पैसे से अपनी एकमात्र बेटी की शादी की. बचे हुए पैसे थोड़े दिनों बाद खत्म हो गए.

अब वे अपनी बेटी की आय पर निर्भर रहने लगे, क्योंकि वह कमाती थी. सरकारी नौकरी के बावजूद वह चाहती थी कि उस का लाइफस्टाइल अपनी जाति वालों से ऊंचा हो. ऐसे में कुछ दिनों बाद बेटी भी मातापिता से दूरी बनाने लगी. मजबूरी में मातापिता इस आयु में काम तलाश कर अपना जीवन गुजारने पर मजबूर हुए. इस उम्र में काम करना अब उन के लिए मुश्किल हो रहा है. आखिर कब तक वे काम कर पाएंगे? कैसे बीतेगा उन का भविष्य? ऐसी कई बातें उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर रही हैं. कोविड की मार के बाद से वे ज्यादा डर गए हैं. दरअसल ऐसी परिस्थति तब आती है जब आप ने भविष्य की प्लानिंग पहले से न की हो. कई लोगों को लगता है कि रिटायरमैंट के बाद मिला पैसा उन के लिए काफी होगा पर ऐसा नहीं होता, क्योंकि महंमाई की दर समान नहीं होती.

वह लगातार बढ़ती रहती है. ऐसे में जो पैसा आज अधिक दिखता है, 10 वर्षों बाद उस की कीमत कम रह जाती है. नौकरीपेशा लोगों के लिए रिटायरमैंट की उम्र 60 साल होती है, अगर आप ने 26-27 साल की उम्र में नौकरी पा ली है तो 30 साल से आप को अपनी वित्तीय प्लानिंग कर लेनी चाहिए क्योंकि इस समय आप की गृहस्थी शुरू हो जाती है. आप का परिवार बढ़ता है. साथ ही, इस समय आप स्वस्थ रहते हैं. समय रहते अगर आप प्लानिंग करते हैं तो नौकरी के दौरान आए उतारचढ़ाव को भी आसानी से संभाल लेते हैं. कई बार नौकरी करतेकरते आप को अलग से इनकम की आवश्यकता महसूस होती है तो इस समय आप वह भी कर सकते हैं, क्योंकि आजकल कई ऐसे आमदनी के साधन उपलब्ध हैं जो नौकरी के साथ अपनाए जा सकते हैं. असल में समय के साथसाथ आप की सैलरी बढ़ती है तो आप का खर्च भी बढ़ता जाता है.

इसलिए अगर सही समय से आप बचत करना शुरू कर देंगे तो रिटायरमैंट के बाद आप की पैंशन या बचत आप की सैलरी का स्थान ले लेगी. इस से आप पर रिटायरमैंट की वजह से कम खर्च का दबाव नहीं रहेगा. अपनी कमाई गई राशि जो आप के हाथ में आती है उस का केवल 20 प्रतिशत अगर 30 साल तक जमा किया है तो वह राशि 30 साल के बाद लाखों में हो जाती है. यहां यह ध्यान रखना आवश्यक है कि अगर अभी आप का महीने का खर्चा 25 हजार है तो 30 साल बाद 8 प्रतिशत की महंगाई की दर से यह खर्चा बढ़ कर 2.5 लाख रुपए महीना हो सकता है. महंगाई आप की रिटायरमैंट के बाद भी जारी रहती है. ‘पोस्ट टैक्स रिटर्न’ 10 प्रतिशत भी हर साल शामिल होता है.

इन सब का सही लेखाजोखा तैयार कर लेने से इसे ‘पे करना मुश्किल नहीं होता.’

-टर्म की प्लानिंग हमेशा फायदेमंद होती है. इस में ऐसी जगह पैसा जमा करने पर जोर को प्राथमिकता देनी चाहिए जिस में ब्याज महंगाई से अधिक हो. ऐसे में घर का मकान इक्विटी, म्यूचुअल फंड में इन्वैस्ट करने के बाद समयसमय पर इसे पुनर्संतुलन करते रहना चाहिए ताकि आप का फायदा चलता रहे. द्य ‘शौर्ट टर्म’ के लिए ‘इक्विटी’ रिस्की होता है. हमेशा 5 साल से अधिक के लिए इन्वैस्ट करें. द्य जमा करने की प्लानिंग’ में बाहर घूमने जाने का खर्च, मनोरंजन पर खर्च, मैडिकल खर्च, आकस्मिक खर्च आदि सभी को शामिल कर प्लानिंग करें.

-धर्म पर खर्च न करें तो अच्छा है. पंडों ने पट्टी पढ़ापढ़ा कर लोगों की आय का 10-15 फीसदी खर्च धर्म पर करवाना शुरू करवा दिया है.

तरहतरह के व्रत, तीर्थ, काशी, केदार डोर, राम देबड़ी की मन्नत, वैष्णो देवी आदि जहां भगदड़ में मौतें तक होती हैं, बेहद खर्चीले हैं. इन पर खर्च न कर पैसा बचत खाते में जमा करें. द्य जो यूथ किसी प्रकार की स्कौलरशिप पाते हैं या उन के पास कुछ पैसा है, वे फिक्स्ड डिपौजिट या डेब्ट म्यूचुअल फंड में अपना पैसा रख सकते हैं जो समय आने पर वे निकाल सकें और उन का पैसा सहीसलामत हो.

मोटी रकम 30 साल में जमा करना मुश्किल दिखता है, लेकिन सही निवेश से यह हो सकता है. बैंक में निवेश करना एक आसान तरीका है चाहे ब्याज कम हो. आमदनी का 20 फीसदी जमा जरूर करें.

इस के अलावा अर्निंग मैंबर को इंश्योरैंस करवाना चाहिए. नौर्मल इंश्योरैंस न ले कर टर्म प्लान लें जिस से ज्यादा कवर हो. ऐसे में कुछ भी हादसा होने पर परिवार को एश्योर्ड मनी मिल जाती है. कोविड का इलाज उस में अवश्य जुड़वाएं.

समय के बाद जमा करने की इच्छा रखने का पूरा हिसाबकिताब ही खराब हो जाता है, इसलिए समय रहते प्लानिंग करें.

बचत की प्लानिंग हमेशा अच्छे सर्टिफाइड एडवाइजर की सहायता से करें.

अपनी बचत का छोटा सा हिस्सा उन रिश्तेदारों की पढ़ाई पर खर्च जरूर करें जो पढ़ने या काम करने में तेज हैं. वे आप के काम भी आ सकते हैं.

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