पिछले दिनों एक खबर आई कि एचएसबीसी बैंक अपना कारोबार बढ़ाने के लिए 50 हजार कर्मचारियों की छुट्टी करेगा. यह कार्य बैंक को इसी साल पूरा करना है. इस से उसे बड़ा आर्थिक लाभ होने का अनुमान है. बैंक जिन स्थानों पर पहले अपनी शाखाएं खोल कर लाभ अर्जित कर चुका है और उसे लगता है कि वहां अब ज्यादा कारोबार की संभावना नहीं है उन स्थानों पर वह कर्मचारियों की संख्या घटा रहा है अथवा वहां से अपना कारोबार समेट रहा है. इस सिद्धांत के तहत उस की 12 फीसदी दुकानें बंद होनी हैं. इस के बदले वह नए स्थानों पर कारोबार शुरू करेगा. लागत घटाने के इस क्रम में कंपनी के भारत में कार्यरत 32 हजार कर्मचारियों में से कई के सिर पर भी तलवार लटक सकती है. एचएसबीसी का बीमा का भी कारोबार है. इस में उस के देश में 5 हजार से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं. सब के भीतर भय का माहौल है और कई ने तो अपने लिए नई नौकरी की तलाश भी शुरू कर दीहै. एचएसबीसी बैंक का 50 हजार कर्मचारियों की फौज कम करने का मकसद 2017 तक 5 अरब डौलर की बचत करना है. यह वही बैंक है जिस ने पिछले वर्ष 1 हजार शीर्ष अधिकारियों की भरती की थी और तब किसी को अनुमान नहीं था कि वह जल्द ही इतनी बड़ी संख्या में लोगों को हटाने की घोषणा करने वाला है. इस घोषणा से कर्मचारियों में हड़कंप मचना स्वाभाविक है. पेशेवर कर्मचारियों के लिए तो दिक्कत नहीं है लेकिन गैर पेशेवर कर्मचारी परेशान हैं. नौकरीपेशा लोगों के लिए यह अजीब चलन शुरू हो गया है. कंपनी जब चाहे नौकरी दे और जब चाहे नौकरी से हटा दे. नए दौर में नौकरी का यह प्रचलन पूरी सामाजिक व्यवस्था के लिए अस्थिरता का माहौल पैदा कर रहा है. इस तरह के माहौल के अभ्यस्त लोगों का तर्क है कि अब तानाबाना नए दौर का ही चलेगा. इस तानेबाने में युवा नौकरी कपड़ों की तरह बदल रहे हैं. यह चलन कुछ लोगों के लिए तरक्की का अच्छा जरिया है लेकिन कुछ लोग स्थिर प्रवृत्ति के होते हैं, उन के लिए यह चलन परेशानी पैदा कर रहा है. इस चलन में कंपनियों का तर्क लाभ कमाना होता है, इसलिए मानवीय दृष्टिकोण अथवा अन्याय जैसे शब्द उन के शब्दकोश में नहीं होते. कंपनियों का इस तरह की घोषणाओं को ले कर जो भी तर्क हो लेकिन यह एक तरह की अराजकता वाली स्थिति है. अराजकता नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के स्तर पर ठीक नहीं है. हालांकि इस चलन में खुलेपन और अधिक अवसर की बात करने वाले इसे अराजकता नहीं मानते हैं लेकिन जो लोग नौकरी नहीं छोड़ना चाहते हैं और पूरी मेहनत व लगन के साथ कहीं भी काम करने को तैयार हैं, उन्हें अवसर दिया जाना चाहिए.

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