होम लोन एक बोझ जैसा महसूस हो सकता है, क्योंकि इस पर लगने वाला ब्याज का बोझ कर्ज लेने वाले की खासी कमाई खा जाता है. टैक्स का बोझ कम करने के लिए सरकार समयसमय पर टैक्स में छूट के जरिए राहत देती रहती है. टैक्स में छूट पाने के लिए घर खरीद कर न सिर्फ आप एक मकान मालिक बन सकते हैं, बल्कि टैक्स में छूट भी पा सकते हैं. सरकार द्वारा होम लोन लेने वालों को टैक्स पर छूट देने का मूल उद्देश्य लोगों को अपनी संपत्ति खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना है.
टैक्स बचाने और लंबे समय तक इस में राहत पाने का सब से अच्छा तरीका है होम लोन. इनकम टैक्स ऐक्ट 1961 कहता है कि लोन को टैक्स बचाने के इंस्ट्रूमैंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. कोई प्रौपर्टी खरीदने के लिए होम लोन लेने के बाद व्यक्ति अपने टैक्स में छूट के लिए आवेदन कर सकता है. यह छूट न सिर्फ मूल राशि पर, बल्कि होम लोन पर लगने वाले ब्याज पर भी लागू होती है.
होम लोन पर इनकम टैक्स में छूट इनकम टैक्स ऐक्ट के सैक्शन 24, 80 सी और 80 ईई के तहत मिलती है. यह लाभ सिर्फ किसी व्यक्ति विशेष और एचयूएफ यानी हिंदू अनडिवाइडैड फैमिलीज को मिल सकती है. टैक्स में यह छूट सिर्फ होम लोन पर ही मिलती है, अन्य तरह के लोन जैसे कि लोन अगेंस्ट प्रौपर्टी यानी एलएपी आदि पर नहीं.
टैक्स में मिलने वाली छूट
टैक्स पर छूट होम लोन के 2 हिस्सों पर उपलब्ध है--मूल राशि और ब्याज पर. मूल राशि पर लाभ जहां सैक्शन 80 सी के तहत पाया जा सकता है वहीं इसी लाभ के लिए सैक्शन 24 के तहत भी आवेदन किया जा सकता है. केंद्र सरकार ने सैक्शन 80 ईई को 2013-14 के बजट में पेश किया था, जिस के तहत ब्याज के भुगतान पर कुछ शर्तों के साथ टैक्स में छूट मिलती है. जिन लोगों ने वित्त वर्ष 2013-14 में पहली बार होम लोन लिया था वे ब्याज की अदायगी पर सैक्शन 24 के तहत 1 लाख रुपए की अतिरिक्त छूट पाने के हकदार हो गए. अनयूटिलाइज्ड ब्याज के लिए वर्ष 2014-15 के लिए भी छूट उपलबध है. टैक्स पर अतिरिक्त छूट मिलने का मतलब यह है कि आप थोड़ा ज्यादा पैसा बचा सकते हैं. लेकिन सरकार ने इस छूट को आगे के वर्षों के लिए नहीं बढ़ाया क्योंकि इस के बारे में सैक्शन 80 ईई में वर्णित नहीं किया गया है. वित्त वर्ष 2015-16 के लिए यह लाभ सिर्फ सैक्शन 80 सी और सैक्शन 24 के तहत ही उपलब्ध है.
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