सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कहा है कि वे टॉप बॉरोअर्स की पहचान करें और अगर उन्हें कर्ज चुकाने में दिक्कत हो रही हो तो इसमें उनसे बातचीत कर उनकी मदद का रास्ता निकालें. सरकार का यह कदम फंसे हुए कर्ज के मामले में उसके रुख में नरमी का संकेत दे रहा है.

अधिकारियों ने कहा कि यह माना जा रहा है कि नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट्स के मामले में सख्ती से निवेश प्रभावित हो रहा है. उन्होंने कहा कि नए कदम का मकसद क्रेडिट ग्रोथ और इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देना है. फाइनैंस मिनिस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी ने ईटी को बताया कि जिन प्रमोटरों के प्रॉजेक्ट चलने लायक होंगे, उन्हें उनके मौजूदा और नए, दोनों तरह के प्रॉजेक्ट्स के मामले में मदद दी जाएगी. अधिकारी ने कहा, 'पहले चरण में बैंक 50-100 टॉप बॉरोअर्स की पहचान करेंगे और देखेंगे उन्हें कितना कर्ज दिया गया है और अदायगी का मामला किस हालत में है.'

अधिकारी ने कहा कि वाजिब मामलों में बैंक ऐसे बॉरोअर्स की कैश क्रेडिट लिमिट बढ़ाने जैसे उपायों से मदद करेंगे. उन्होंने कहा, 'इस संबंध में बैंकिंग रेग्युलेटर आरबीआई की भी सहमति ली गई है.' अधिकारी ने कहा कि सरकारी बैंकों के तिमाही प्रदर्शन की समीक्षा पिछले महीने की गई थी और उसी दौरान इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी.

आरबीआई गवर्नर ऊर्जित पटेल ने भी अपने पहले मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू में मंगलवार को संकेत दिया था कि बैड लोन से निपटने में नरमी दिखाई जाएगी. पटेल ने कहा था, 'हमें एनपीए के मसले से कड़ाई से निपटना होगा, लेकिन इसके साथ व्यावहारिक रुख भी अपनाना होगा ताकि इकॉनमी में क्रेडिट की कमी का अहसास न हो.' उन्होंने कहा था कि आरबीआई इस स्थिति से निपटने के लिए कई स्तरों पर कदम उठाएगा. उन्होंने कहा था कि आरबीआई बैंकों और सरकार के साथ मिलकर काम करेगा. एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस वक्त क्रेडिट ग्रोथ में कमजोरी की सबसे बड़ी वजह इन्वेस्टमेंट में सुस्ती को माना जा रहा है, ऐसे में इस तरह के कदमों से इंडिया इंक का हौसला बढ़ेगा.

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