जीएसटी यानि कि वस्तु एवं सेवा कर. पिछले कुछ सालों से जीएसटी को लेकर काफी शोर-शराबा हो रहा है. पिछले कई सालों से केन्द्रीय सरकार इसे लागू करना चाह रही है, पर विपक्ष की पार्टी के विरोध के कारण यह लागू नहीं हो पा रहा है. संविधान का 122वां संशोधन यानि की जीएसटी को सन् 2014 में राज्यसभा में पारित कर दिया गया था. 6 मई 2015 को जीएसटी बिल लोकसभा में भी सर्वसम्मति पारित हो गया था.

क्या है जीएसटी?

गुड्स ऐंड सर्विसेस टैक्स या वस्तु एवं सेवा कर एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर या इन्डायरेक्ट टैक्स है. जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग नहीं, बल्कि एक ही टैक्स लगाया जाता है. जहां-जहां ये कानून लागू नहीं किया गया है वहां हर वस्तु या सेवा मे अलग-अलग टैक्स लगाया जाता है. अगर जीएसटी लागू हो जाता है तो हमें किसी भी वस्तु या सेवा के लिए अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही टैक्स देना पड़ेगा. किसी भी प्रकार का अतिरिक्त टैक्स नहीं देना पड़ेगा. जीएसटी को आजादी(1947) के बाद अप्रत्यक्ष कर या इन्डायरेक्ट टैक्स का सबसे बड़ा रिफॉर्म या सुधार बताया जा रहा है.

जीएसटी से जुड़ी जरूरी बातें-

1. डबल जीएसटी

जीएसटी लागू होने पर राज्य सरकारें और केन्द्रीय सरकार अपने हिसाब से वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स लगा सकती है. केन्द्रीय सरकार सीजीएसटी(सेन्ट्रल जीएसटी) और राज्य सरकार एसजीएसटी(स्टेट जीएसटी) कर लगाएगी वहीं दो राज्यों के बीच आईजीएसटी(इंटीग्रेटेड जीएसटी) कर लगाया जाएगा. केन्द्रीय और इंटीग्रेटेड जीएसटी केन्द्र सरकार द्वारा ही लागू किया जाएगा.

2. कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं

किसी भी वस्तु या सेवा का लाभ उठाने के लिए वर्तमान समय में एक्साइज ड्यूटी(उत्पाद शुल्क), सीवीजी, एसएडी, सीएसटी जैसे कई टैक्स देने पड़ते हैं. इसके अलावा कई तरह के राज्य स्तरीय कर जैसे वैट, प्रवेश कर(ऐंट्री टैक्स), लक्जरी टैक्स आदि का कई तरह के कर चुकाने पड़ते हैं. जीएसटी लागू होने पर इन में से किसी भी तरह का कर नहीं चुकाना पड़ेगा.

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