वित्त वर्ष 2017 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 7.1 फीसदी रही. वहीं वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च) के दौरान जीडीपी विकास दर 6.1 फीसदी रही है. कृषि क्षेत्र के काफी अच्छे प्रदर्शन के बावजूद वृद्धि दर नीचे आई है.
सरकार ने 500 और 1,000 के बड़े मूल्य के पहले से चल रहे नोटों को आठ नवंबर को बंद करने की घोषणा की थी. इस नोट बदलने के काम में 87 फीसदी नकद नोट चलन से बाहर हो गए थे. नोटबंदी के तत्काल बाद की तिमाही जनवरी-मार्च में वृद्धि दर घटकर 6.1 फीसदी रही है.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) घटकर 6.6 फीसदी पर आ गया, जो कि 2015-16 में 7.9 फीसदी रहा था. नोटबंदी से 2016-17 की तीसरी और चौथी तिमाही में जीवीए प्रभावित हुआ है. इन तिमाहियों के दौरान यह घटकर क्रमश: 6.7 फीसदी और 5.6 फीसदी पर आ गया. जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाहियों में 7.3 और 8.7 फीसदी रहा था.
नोटबंदी के बाद कृषि को छोड़ कर अन्य सभी क्षेत्रों में गिरावट आई. विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर चौथी तिमाही में घटकर 5.3 फीसदी रह गई. जो एक साल पहले समान तिमाही में 12.7 फीसदी रही थी. निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर भी नकारात्मक रही. बेहतर मानसून की वजह से कृषि क्षेत्र को फायदा हुआ. 2016-17 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.9 फीसदी रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 0.7 फीसदी रही थी. चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र का जीवीए 5.2 फीसदी बढ़ा, जबकि 2015-16 की समान तिमाही में यह 1.5 फीसदी बढ़ा था.
कोयला, कच्चा तेल व सीमेंट उत्पादन में गिरावट के चलते नए वित्त वर्ष में भी आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अप्रैल में घटकर 2.5 फीसदी रही. इन उद्योगों ने पिछले साल अप्रैल में 8.7 फीसदी वृद्धि दर्ज की थी. इनमें उद्योग कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार कोयला, कच्चा तेल व सीमेंट उत्पादन में क्रमश: 3.8 फीसदी, 0.6 फीसदी व 3.7 फीसदी की गिरावट आई.
प्रमुख क्षेत्रों में धीमी वृद्धि से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि कुल औद्योगिक उत्पादन में इन क्षेत्रों का योगदान करीब 38 फीसदी है. रिफाइनरी उत्पाद व बिजली उत्पादन की वृद्धि दर अप्रैल में कम होकर क्रमश: 0.2 फीसदी और 4.7 फीसदी रही, जो पिछले साल इसी माह में क्रमश: 19.1 फीसदी व 14.5 फीसदी थी. हालांकि प्राकृतिक गैस, उर्वरक और इस्पात क्षेत्र में क्रमश: 2 फीसदी, 6.2 फीसदी व 9.3 फीसदी की वृद्धि हुई.
अर्थशास्त्री इस गिरावट की बड़ी वजह कंस्ट्रक्शन और नॉन फूड क्रेडिट सेक्टर के कमजोर प्रदर्शन को मान रहे हैं. गौरतलब कि चौथी तिमाही में कंस्ट्रक्शन सेक्टर की ग्रोथ पिछली तिमाही के 6 फीसदी से घटकर -3.7 फीसदी रही है. वहीं सालाना आधार पर इस सेक्टर की ग्रोथ 5 फीसदी से घटकर 1.7 फीसदी रह गई है.
नॉन फूड फाइनेंस सेक्टर में मंदी
बैंकों इस तिमाही में कर्ज का वितरण कम कर सके. खासतौर पर नॉन फूड फाइनेंस सेक्टर में कर्ज का वितरण धीमा रहा. तिमाही आधार पर फाइनेंनशियल, इंश्योरेंस, रियल्टी और प्रोफेशनल सर्विसेज की ग्रोथ 9 फीसदी से घटकर 2.2 फीसदी रह गई. वहीं सालाना आधार पर वित्त वर्ष 2017 में इस सेक्टर की ग्रोथ 10.8 फीसदी से घटकर 5.7 फीसदी रही.
संशोधित हुई दरें
वित्त वर्ष 2015 की जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदीी से संशोधित होकर 7.5 फीसदीी हो गई. वित्त वर्ष 2014 की जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदीी से संशोधित होकर 6.4 फीसदीी हो गई. वित्त वर्ष 2013 की जीडीपी ग्रोथ बिना बदलाव के 5.5 फीसदीी पर बरकरार रही.