जीवन की आपाधापी में कब शादी के 8 साल बीत गए, नक्षत्रा को पता ही नहीं चला. कंपनी की ओर से आयोजित एक सैमिनार में उसे बेंगलुरु बुलाया गया तो उस ने पति श्याम से साथ चलने को कहा. वह मना नहीं कर पाए और दोनों खुशीखुशी 3 दिनों के लिए बेंगलुरु पहुंच गए. विश्राम के बाद शाम को वे होटल से बाहर निकले तो सामने एक बाजार दिखा. दोनों उस ओर बढ़ गए. जहां विश्व प्रसिद्ध साउथ इंडियन सिल्क साडि़यों की कई दुकानें दिखीं.

नारीमन साड़ी के नाम पर न पिघले, ऐसा कैसे हो सकता था, नक्षत्रा की नजरें ही नहीं, उस के कदम भी बरबस साड़ी की एक दुकान की ओर खिंचे चले गए. दुकान पर 200 से ले कर ढाई लाख रुपए तक की साडि़यां उपलब्ध थीं. साडि़यों की कीमत देख कर एकबारगी तो नक्षत्रा का मन किया कि दुकान से बाहर निकल जाए परंतु श्याम ने कंधे पर हाथ रखा तो उस में थोड़ी हिम्मत जगी और उस ने सेल्समैन से कम रेंज की साडि़यां दिखाने को कहा.

अब स्थिति यह हो गई कि कम रेंज की साडि़यां उसे पसंद नहीं आ रही थीं. काफी जद्दोजेहद के बाद उस ने7 हजार रुपए की एक साड़ी पसंद कर पैक करने के लिए सेल्समैन को कहने ही वाली थी कि श्याम ने कहा कि पहली बार इतनी दूर आई हो तो मम्मी और भाभी के लिए भी एकएक साड़ी ले लो न.

बड़ी मुश्किल से उस ने 7 हजार रुपए की साड़ी खरीदने का मन बनाया था पर श्याम ने तो 21 हजार रुपए का बजट बना दिया. न उन के पास उतनी नकदी थी न ही एटीएम में इतने पैसे और उन्हें 3 दिन वहां रुकना भी था. होटल, खानेपीने, घूमने के खर्चे भी थे, सो अलग. नक्षत्रा ने श्याम को घूरा जो मस्ती से साडि़यों को छू कर उन का आनंद ले रहे थे.

नक्षत्रा ने श्याम से कहा कि कहां से आएंगे इतने पैसे? श्याम ने कहा कि फिक्र मत करो, साडि़यां पसंद करो. नक्षत्रा ने 2 और साडि़यां पसंद कीं और सेल्समैन को पकड़ा दीं. श्याम ने पर्स से क्रैडिट कार्ड निकाला और फटाफट बिल का भुगतान कर साडि़यों का पैकेट नक्षत्रा को पकड़ा दिया.

कई वर्षों से नक्षत्रा यह महसूस कर रही थी कि ग्रौसरी आदि की खरीदारी में दुकानदार खुले पैसे नहीं होने का बहाना बना कर टौफियां पकड़ा देते हैं या बैलेंस रख लेते हैं. आज उसे लगा कि यदि उस ने खरीदारी के लिए अपना डैबिट कार्ड इस्तेमाल किया होता तो अब तक उस के काफी पैसे बच सकते थे और नकदी न ले जाने की सुविधा होती, सो अलग.

नक्षत्रा की तरह न जाने आज कितने लोग हैं जिन के पास बैंक द्वारा दिए गए एटीएम/डैबिट कार्ड  तो होते हैं पर वे इसलिए उपयोग नहीं करते क्योंकि आएदिन एटीएम, डैबिट कार्ड, क्रैडिट कार्ड एवं औनलाइन बैंकिंग आदि में

हो रही धोखाधड़ी से संबंधित खबरें पत्रपत्रिकाओं में छपती रहती हैं. फिर भी प्लास्टिक कार्ड का उपयोग निरंतर बढ़ता ही जा रहा है.

स्थिति यह है कि मार्च 2016 में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, प्लास्टिक कार्ड की संख्या 863 लाख और पौइंट औफ सैल्स यानी पीओएस की संख्या करीब 13 लाख तक पहुंच गई है. इस के द्वारा लेनदेन की संख्या में भी निरंतर इजाफा हो रहा है. सुविधाओं के लालच में इस का अधिकतम इस्तेमाल कहीं हमारे लिए जी का जंजाल न बन जाए, आइए, इस बारे में जानने का प्रयास करते हैं :

क्या है प्लास्टिक कार्ड

आमतौर पर प्लास्टिक कार्ड 3 प्रकार के होते हैं : एटीएम कार्ड, एटीएम सह डैबिट कार्ड और क्रैडिट कार्ड. आधुनिक बैंकिंग का प्रादुर्भाव होते ही सर्वप्रथम ग्राहकों को नकदी भुगतान हेतु वैकल्पिक व्यवस्था देने के तहत एटीएम व्यवस्था की शुरुआत हुई. पहले एटीएम कार्ड से नकदी निकासी के अलावा खाता संबंधित संक्षिप्त विवरण आदि ही प्राप्त किए जा सकते थे परंतु समय ने करवट ली और एटीएम कार्ड में कई सुविधाओं को समाहित करते हुए एटीएम सह डैबिट कार्ड का रूप दे दिया. डैबिट कार्ड से क्रैडिट कार्ड की तरह ही औनलाइन एवं औफलाइन खरीदारी करने के अलावा एटीएम मशीन की सहायता से मनी ट्रांसफर सहित कई अन्य लेनदेन भी किए जा सकते हैं.

क्रैडिट व डैबिट कार्ड में अंतर

बैंक द्वारा एटीएम निकासी या औनलाइन या पीओएस माध्यम से खरीदारी के लिए डैबिट कार्ड जारी किया जाता है. डैबिट कार्ड से आप कोई लेनदेन तभी कर सकते हैं जब आप के बैंक खाते में पैसे हों और लेनदेन करते ही खाते से तत्काल रकम निकल जाती है. क्रैडिट कार्ड के साथ ऐसा नहीं है. व्यक्ति की आय और साख के अनुसार बैंक द्वारा क्रैडिट कार्ड जारी किया जाता है. उस में एक निश्चित राशि की लिमिट दी जाती है जो समयसमय पर बैंक द्वारा घटाईबढ़ाई जाती है. क्रैडिट कार्ड जारी करने के लिए बैंक में आप का खाता हो, यह जरूरी नहीं. क्रैडिट कार्ड जारीकर्ता बैंक के नियम और शर्तों को पूरा करने पर आप को कार्ड जारी कर दिया जाता है.

क्रैडिट कार्ड द्वारा आप अपने कार्ड की लिमिट के भीतर खरीदारी कर सकते हैं. निर्धारित तिथि को उस माह के दौरान की गई खरीदारी की बिलिंग होती है और बिलिंग की तिथि के लगभग 20 दिनों बाद आप को उस राशि का भुगतान बैंक को करना होता है. यदि खरीदारी और भुगतान की तिथि के बीच अंतर की गणना करें

तो ग्राहक को भुगतान हेतु अधिकतम 50 दिनों का समय मिलता है. यदि निर्धारित तिथि के भीतर बिल राशि का भुगतान नहीं किया तो विलंब शुल्क के अतिरिक्त खरीद राशि पर लगभग 40 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज का भुगतान करना पड़ता है, जो ग्राहकों की जेब पर भारी पड़ता है.

प्लास्टिक कार्ड में आगे कार्डधारक का नाम, कार्ड संख्या और वैधता तिथि अंकित होती है और पीछे की ओर एक मैग्नेटिक स्ट्रिप होती है जिस में ग्राहक संबंधित समस्त व्यक्तिगत सूचनाएं होती हैं. उस के नीचे हस्ताक्षर की जगह होती है जहां कार्डधारक को अनिवार्यरूप से हस्ताक्षर करना होता है जिस का मिलान लेनदेन करते समय किया जा सकता है. उस के साथ ही 3 अंकों की सीवीवी संख्या होती है जिस का उपयोग आमतौर पर औनलाइन भुगतान के समय अनिवार्यरूप से किया जाता है. एटीएम मशीन या पीओएस में कार्ड डालते ही मशीन सीधे बैंक के माध्यम से कार्ड जारीकर्ता कंपनी यानी वीजा, मास्टर,मैस्ट्रो या रुपे कार्ड के केंद्रीकृत सर्वर से जुड़ जाता है और आप को बैंक द्वारा निर्धारित सुविधाएं मिल जाती हैं.

लोकप्रिय हो रहे प्लास्टिक कार्ड

भारत एक युवा देश है जहां 70 करोड़ से अधिक जनसंख्या 35 वर्ष से कम उम्र की है. यह पीढ़ी अपना अधिकांश समय मोबाइल फोन और इंटरनैट पर व्यतीत करती है तथा सदैव त्वरित एवं आसान सेवाओं के प्रति आकर्षित होती है. यही कारण है कि भारत में भुगतान के अत्याधुनिक इलैक्ट्रौनिक माध्यमों का प्रचलन दिनप्रतिदिन बढ़ता जा रहा है.

‘डिजिटल इंडिया’ योजना के तहत इलैक्ट्रौनिक भुगतान एवं प्लास्टिक मुद्रा को लोकप्रिय बनाने के प्रत्यक्ष भुगतान को तकनीकी आधारित भुगतान समाधान के साथ जोड़ा जा रहा है. इस का मुख्य उद्देश्य भारत में फैली नकदी आधारित व्यवस्था को हाशिए पर लाना है जो इस समय कालेधन एवं भ्रष्टाचार की मुख्य जड़ बनी हुई है. इस के अलावा, सरकार इलैक्ट्रौनिक अथवा प्लास्टिक मुद्रा के जरिए भुगतान करने वालों को कर में छूट देने पर विचार कर रही है ताकि इस का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सके. दूसरी ओर विभिन्न सरकारी योजनाओं में होते भ्रष्टाचार को दूर करने हेतु सरकार चरणबद्ध तरीके से समस्त सरकारी योजनाओं एवं सब्सिडी का भुगतान डीबीटी यानी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण व्यवस्था से जोड़ने की दिशा में भी काम कर रही है.

प्लास्टिक कार्ड पर रियायतें

आमतौर पर औनलाइन और प्लास्टिक कार्ड द्वारा भुगतान पर सुविधा शुल्क, यूजर शुल्क के अलावा वैंडर द्वारा सर्विस प्रभार एवं सरचार्ज का भुगतान किया

जाता है जो क्रैडिट कार्ड के मामले में 12.5 प्रतिशत और डैबिट कार्ड के मामले में 0.5 से 1 प्रतिशत तक होता है. भारत सरकार ने औनलाइन भुगतान को बढ़ावा देने व नकदी भुगतान को कम करने तथा कर अधिकारियों को कर चोरी के मामले पकड़ने में मदद के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं जिन के तहत 1-2वर्षों में औनलाइन या प्लास्टिक भुगतान के मामले में विभिन्न प्रभार हटाए जाएंगे. इस से इलैक्ट्रौनिक भुगतान की लागत में कमी आएगी और इस के उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा.

औफर्स की बरसात

कार्ड्स के औफर्स की बात करें तो इस मामले में एचडीएफसी कार्ड और एसबीआई कार्ड फिलहाल आगे दिखते हैं. एचडीएफसी पर फिलहाल चल रहे औफर्स में अपोलो हौस्पिटल और अपोलो क्लीनिक में जांच कराने पर 15 फीसदी की छूट मिलती है. मेकमाईट्रिप पर फ्लाइट बुकिंग पर 800 रुपए कैशबैक और होटल बुकिंग पर 70 प्रतिशत की छूट मिलती है. बिग बाजार में बुधवार को 2,000 रुपए की खरीदारी पर 5 प्रतिशत, पेपरफ्राई पर फर्नीचर, होम डैकोर आदि खरीदने पर 30 प्रतिशत की छूट, गोआईबीबो पर एकतरफा फ्लाइट बुक करने पर 250 रुपए तथा दोतरफा बुक करने पर 500 रुपए की छूट आदि प्रमुख हैं. वहीं, एसबीआई कार्ड रिलायंस ट्रैंड और रिलायंस फ्रैश पर 2,999 रुपए की खरीदारी पर 5 प्रतिशत के कैशबैक के अलावा अन्य कई औफर अपने ग्राहकों के लिए ले कर आया है. इस के अलावा आईसीआईसीआई व अन्य बैंकों द्वारा भी समयसमय पर कई प्रकार की छूट एवं कैशबैक औफर निकाले जाते हैं जिन से ग्राहकों को काफी लाभ मिलता है. कार्ड जारीकर्ता बैंक एसएमएस एवं ईमेल द्वारा अपने ग्राहकों को अपनी योजनाओं के बारे में निरंतर सूचना देते रहते हैं ताकि वे सुविधाओं का लाभ उठा सकें.

सब कुछ औनलाइन

एक समय था जब आप को कुछ भी खरीदना होता था तो आप के लिए बाजार जाना अनिवार्य होता था परंतु आज ग्रौसरी से ले कर मोबाइल फोन तक जरूरत की सारी चीजें औनलाइन उपलब्ध हैं और आसानी से घर पर डिलीवर कर दी जाती हैं जिस के कारण औनलाइन शौपिंग बेहद लोकप्रिय हो रही है. गूगल इंडिया के मुताबिक, 2014 की पहली तिमाही तक भारत में लगभग 35 मिलियन औनलाइन शौपर्स थे लेकिन विगत 2 वर्षों में इन की संख्या में काफी वृद्धि दर्ज की गई है.

भारत में कैश औन डिलीवरी भुगतान का सब से पसंदीदा माध्यम है और ई-कौमर्स का लगभग 75प्रतिशत कारोबार कैश औन डिलीवरी पर होता है. परंतु विगत वर्ष फ्लिपकार्ट, अमेजौन, स्नैपडील जैसी कुछ साइटों द्वारा सिर्फ ऐप आधारित सेल को बढ़ावा देने एवं कैश औन डिलीवरी में कम छूट व अतिरिक्त प्रभार लगाने के कारण लोगों में प्लास्टिक कार्ड के उपयोग के प्रति रुझान तेजी से बढ़ रहा है.

दूसरी ओर, ऐसी वैबसाइट्स डैबिट/ क्रैडिट कार्ड के साथ मार्केटिंग समझौते के तहत समयसमय पर विभिन्न कार्डों पर 5 से 15 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट या कैशबैक देती हैं.

आदत न बने आफत

जौइनिंग और वार्षिक शुल्क का रखें ध्यान : क्रैडिट कार्ड के उपयोग में कुछ लगता है नहीं, बस सुविधाएं ही सुविधाएं हैं, ऐसा सोचना गलत है. आज के जमाने में हर सुविधा की अपनी कीमत होती है. इसलिए ग्राहकों को क्रैडिट कार्ड के उपयोग व दुरुपयोग से होने वाले नुकसान की भी जानकारी अवश्य होनी चाहिए वरना यह उपयोगकर्ताओं के लिए मुसीबत का सामान बन सकता है. अधिकांश कार्ड जारीकर्ता बैंक कार्ड जारी करते समय जौइनिंग शुल्क के रूप में 1,000 से 5,000 रुपए तक की राशि लेते हैं और इतनी ही राशि वार्षिक शुल्क भी लेते हैं.

हालांकि कुछ बैंक आजीवन मुफ्त कार्ड भी जारी करते हैं तो कुछ बैंक कार्ड द्वारा एक निश्चित राशि की खरीदारी करने पर वार्षिक शुल्क रिवर्स कर देने की सुविधा देते हैं. इसलिए कार्ड जारी करते समय इन सब बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए और इस प्रकार की छूट हेतु लिखित स्वीकृति के बाद ही कार्ड आवेदन पर हस्ताक्षर करने चाहिए. यदि कार्ड जारीकर्ता बैंक यह दावा करे कि लाइफटाइम फ्री कार्ड है तो भी कार्ड पर लाइफटाइम फ्री लिख कर साइन करना चाहिए और उस की एक प्रति अपने पास रखनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की परेशानी न हो.

भुगतान न करने पर जुर्माना : प्रत्येक कार्ड की बिलिंग तिथि अलगअलग होती है और लेनदेन की बिलिंग तिथि के 20 दिन बाद तक बिल का भुगतान किया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर एसबीआई कार्ड की बिलिंग तिथि हर माह की 13 तारीख है. यदि आप ने 14 जून की खरीदारी की तो उस खरीदारी का बिल13 जुलाई को जैनेरेट होगा और बिल का भुगतान 3 अगस्त को होगा यानी आप को 14 जून की खरीदारी के भुगतान के लिए कुल 50 दिनों का समय मिलेगा. आमतौर पर लोग 50 दिनों में भुगतान करने की बात समझ कर कार्ड बिल का भुगतान नहीं करते जिस के कारण उन्हें बाद में जुर्माना अदा करना पड़ता है. आइए, इसे एक उदाहरण से समझते हैं :

संजीव ने आईसीआईसीआई बैंक कार्ड से जुलाई 2016 में कुल 6,397 रुपए की औनलाइन खरीदारी की जिस की भुगतान तिथि 3 अगस्त थी. परंतु जुलाई के अंतिम सप्ताह में अचानक उसे देश से बाहर जाना पड़ा और जल्दबाजी में वह कार्ड साथ ले जाना भूल गया. वहां पहुंच कर जब उस ने बैंक को भुगतान करने के लिए फोन किया तो आईवीआर सिस्टम ने उस से कार्ड की संख्या मांगी जो उस के पास नहीं थी. इसलिए चाहते हुए भी वह निर्धारित तिथि तक बिल का भुगतान नहीं कर पाया. 8 अगस्त को वापस लौटने पर उस ने बिल को औनलाइन भुगतान कर दिया. परंतु अगस्त के बिल में बैंक ने 6,397 रुपए की बिल राशि पर विलंब शुल्क के 500 रुपए, ब्याज के रूप में 750 रुपए एवं उन पर लागू सेवा कर सहित लगभग 1,500 रुपए पैनल्टी लगा दी. उस ने बैंक के सर्विस सैंटर पर कई फोन और कई ईमेल किए परंतु बैंक की ओर से कोई सुनवाई नहीं हुई और आखिरकार उसे पैनल्टी का भुगतान करना पड़ा जोकि उसे काफी भारी पड़ा. वैसे, कुछ बैंक ग्राहकों द्वारा नियमित रूप से समय पर भुगतान करने पर कभीकभी विलंब शुल्क रिवर्स भी कर देते हैं.

नकदी निकासी पर 3.35 फीसदी ब्याज : आमतौर पर लोग यह समझ बैठते हैं कि खरीदारी के अलावा कार्ड से नकदी निकासी पर भी उसे 50 दिनों की क्रैडिट अवधि मिलती है, परंतु ऐसा नहीं है. भूल कर भी क्रैडिट कार्ड से नकदी निकासी की गलती न करें क्योंकि कार्ड द्वारा नकदी निकालना आप को काफी महंगा पड़ सकता है. आइए, हम एसबीआई प्लैटिनम कार्ड का उदाहरण लेते हैं. 1 लाख रुपए की क्रैडिट लिमिट पर कार्ड द्वारा 30 हजार रुपए की नकदी निकासी की सुविधा प्रदान की जाती है और निकासी की तिथि से ही 3.35 फीसदी मासिक (40.2 फीसदी वार्षिक) दर से ग्राहकों से ब्याज वसूला जाता है. इस के अलावा, सर्विस प्रभार का भार भी ग्राहक को ही वहन करना पड़ता है.

धोखाधड़ी भी है : क्रैडिट कार्ड में डिजिटल लेनदेन होने के कारण आप की कार्ड संख्या, उस की वैधता तिथि, ग्राहक का नाम और सीवीवी संख्या ही आप की पहचान होती है. इस के कारण यदि किसी भी व्यक्ति के पास यह संख्या है तो वह आप के कार्ड पर आसानी से औनलाइन खरीदारी कर सकता है. कई बार तो आप को पता भी नहीं चलता और आप के कार्ड पर औनलाइन खरीदारी हो जाती है. धोखेबाज धोखाधड़ी से आप के कार्ड की संख्या व अन्य जानकारी चुरा कर धोखाधड़ी को अंजाम दे देते हैं जोकि कई बार जेबकतरों से भी आसान होता है क्योंकि इस में धोखाधड़ी करने वालों को आप के पास आने की भी जरूरत नहीं पड़ती. आमतौर पर इलैक्ट्रौनिक/ प्लास्टिक मुद्रा के प्रयोग के बारे में ग्राहकों को पूरी जानकारी न होने के कारण वे अपना पासवर्ड, पिन या अन्य गोपनीय नंबर किसी को बता देते हैं या डायरी या पर्ची में लिख कर रख लेते हैं जिस का फायदा धोखेबाज उठाते हैं और हजारोंलाखों का चूना लगा देते हैं. कई बार ऐसे धोखेबाज मोबाइल नंबर पता लगा कर, नकली बैंक अधिकारी बन ग्राहकों से पासवर्ड या सीवीवी की जानकारी प्राप्त कर या कार्ड की क्लोनिंग द्वारा उन के खाते से सारी रकम निकाल लेते हैं. वहीं, साइबर कैफे या अज्ञात जगह पर नैट बैंकिंग का उपयोग करने से भी ग्राहकों के डेटा के चोरी किए जाने की संभावना रहती है.

सिविल धौंसपट्टी के आगे बेबस : कई बार लोग प्लास्टिक कार्ड के उपयोग के कारण होने वाली धोखाधड़ी की शिकायत पुलिस में करने जाते हैं तो पुलिस आप को इतने चक्कर लगवाती है, सवाल पूछती और दस्तावेज मांगती है कि आप दौड़तेदौड़ते थक जाते हैं और पुलिस में एफआईआर तक दर्ज नहीं कराते. वहीं, कई बार पुलिस एफआईआर तो दर्ज कर लेती है पर कोई कार्यवाही नहीं करती. इसलिए अधिकांश लोग शिकायत करने के बजाय मामले को भूल जाना बेहतर समझते हैं जिस से धोखेबाज न सिर्फ बच जाते हैं बल्कि उन्हें इस तरह के कार्य करने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा भी मिलता है. लेकिन सारे पुलिस वाले ऐसे नहीं होते. कई बार पुलिस की तत्परता के कारण कई गिरोहों का भंडाफोड़ भी हुआ है. इसलिए इस तरह के मामले होने पर पुलिस से शिकायत करने में न हिचकें, बल्कि पूरी सूचना सहित लिखित शिकायत करें ताकि इस संबंध में समुचित कार्यवाही की जा सके. कैसे सुरक्षित रहेगा कार्ड का उपयोग

जिस तेजी से प्लास्टिक कार्ड का प्रयोग दिनप्रतिदिन बढ़ रहा है उतनी ही तेजी से प्लास्टिक कार्ड के उपयोग के क्षेत्र में धोखेबाजी की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. इसलिए भारतीय रिजर्व बैंक कार्ड के उपयोग को अत्यधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में कई कदम उठा रहा है. पहले सामान्य क्रैडिट कार्ड का उपयोग किया जाता था जिस में कार्ड क्लोनिंग की संभावना काफी होती थी परंतु अब सभी बैंकों द्वारा अनिवार्यरूप से चिप आधारित कार्ड जारी किया जाता है जिस में क्लोनिंग की संभावना नगण्य होती है. इतना ही नहीं,अब सभी कार्डों को अनिवार्यरूप से ग्राहक के मोबाइल से जोड़ दिया गया है. और बैंक द्वारा न सिर्फ आप को हर लेनदेन के बारे में अलर्ट किया जाता है बल्कि क्रैडिट एवं डैबिट कार्ड को दोहरी पिन आधारित सुरक्षा से जोड़ दिया गया है जिस के कारण अब हर लेनदेन हेतु आप के व्यक्तिगत मोबाइल फोन पर वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) जैनेरेट किया जाता है. इस ओटीपी की प्रविष्टि से ही आप का लेनदेन प्राधिकृत होता है. सब से बड़ी बात तो यह है कि यह ओटीपी केवल कुछ मिनट तक ही वैध होता है.

पहले क्रैडिट कार्ड को केवल स्वाइप करने पर ही आप का लेनदेन हो जाता था परंतु अब चिप कार्ड में भी एटीएम कार्ड की तरह पीओएस में इंसर्ट करने के बाद आप को लेनदेन पिन की प्रविष्टि करनी पड़ती है,तभी आप का लेनदेन प्राधिकृत होता है. अब तो द्वितीय चरण में प्राधिकृत करने की व्यवस्था को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए आने वाले दिनों में बायोमैट्रिक आधारित प्रणाली एवं फिंगर आधारित हार्डवेयर स्मार्टफोन को और अधिक सुरक्षित बनाएंगे. नतीजतन, टच आईडी एवं एंड्रौयड एम मोबाइल सिस्टम पर फिंगर प्रिंट स्कैनर एपीआई के कारण भविष्य में प्लास्टिक मुद्रा के माध्यम से भुगतान सुरक्षित, सुविधाजनक एवं आरामदायक बन जाएगा और तेजी से वास्तविक मुद्रा के विकल्प के तौर पर उभरेगा.

आखिर यही कहा जा सकता है कि भारत जैसे युवा व तकनीकी रूप से सक्षम देश में प्रौद्योगिकी आधारित उत्पादों की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता. परंतु जहां तक प्लास्टिक कार्ड जैसे माध्यमों से वित्तीय लेनदेन की बात है तो हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि सब से पहले हम इन उत्पादों और इन के सुरक्षित उपयोग के बारे में अधिकतम जानकारी अर्जित करें और अत्यधिक सुरक्षित ढंग से इन का प्रयोग करें ताकि हमें किसी प्रकार का वित्तीय नुकसान न हो सके. इतना ही नहीं, इन का प्रयोग करते समय पूरी तरह से सावधानी बरतें और कार्ड संख्या सहित कार्ड से संबंधित कोई जानकारी किसी को न दें, न ही कहीं लिख कर रखें. यहां यह भी जानना जरूरी है कि किसी भी बैंक द्वारा ग्राहक से कार्ड, पिन एवं सीवीवी से संबंधित कोई जानकारी नहीं मांगी जाती. इसलिए यदि फोन पर आप से कोई भी आप को कितना लालच क्यों न दे, आप उसे अपने कार्ड से संबंधित कोई जानकारी नहीं दें बल्कि फोन करने वाले की शिकायत पुलिस स्टेशन के साइबर सैल में अवश्य करें ताकि पुलिस द्वारा उस के खिलाफ कार्यवाही की जा सके.

क्रैडिट कार्ड पर ब्याज

सब से महंगा ऋण आमतौर पर क्रैडिट कार्ड के बकाए पर 1.5 से 2.99 प्रतिशत के मासिक ब्याज का भुगतान करना पड़ता है. यह विभिन्न बैंकों द्वारा अलगअलग चार्ज किया जाता है :

कार्ड जारीकर्ता बैंक कार्ड का नाम                मासिक ब्याज दर

कोटक महिंद्रा       —      बैस्ट प्राइस कार्ड    —      1.5%

एसबीआई   —      यूबीआई एडवांटेज कार्ड   —      1.75%

यूबीआई      —      सिल्वर/क्लासिक कार्ड     —      1.90%

ऐक्सिस      —      इजी गोल्ड क्रैडिट कार्ड    —      1.95%

एसबीआई   —      एडवांटेज प्लस/गोल्ड कार्ड        —      2.25%

डायस —      स्मार्टगोल्ड क्रैडिट कार्ड    —      2.25%

आईसीआईसीआई  —      इंस्टैंट प्लैटिनम कार्ड       —      2.49%

सिटी बैंक    —      कैशबैक/प्रैस्टिज कार्ड       —      2.50%

बैंक औफ बड़ौदा    —      टाइटैनियम/सिग्नेचर/

                प्लैटिनम कार्ड       —      2.60%

कोटक महिंद्रा       —      एक्वा गोल्ड कार्ड    —      2.60%

स्रोत : एडऔनमनी वैबसाइट

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