रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि देश से गरीबी हटानी है तो प्रति व्यक्ति आय को 6,000 हजार डॉलर यानी 4 लाख रुपये तक करना होगा. पत्रकारों से बात करते हुए राजन ने कहा कि एक स्तर पर हम अब भी 1,500 डॉलर प्रति व्यक्ति आय वाली अर्थव्यवस्था है.

उन्होंने कहा, 'हमारी 1,500 डॉलर और कहां सिंगापुर की 50,000 डॉलर की प्रति व्यक्ति आय. हमें अभी बहुत कुछ करना है. हम तुलनात्मक रूप से अब भी कमजोर अर्थव्यवस्था हैं और हमें हरेक की आखों से आंसू पोछने हैं. आखिरकार, कोई भी व्यक्ति कम-से-कम 6 से 7 हजार डॉलर के आस-पास का मिडल इनकम चाहता है जिसका तार्किक वितरण होने पर भयंकर गरीबी से निपटा जा सकता है. और, इस मामले में थोड़ी से भी संतुष्टी पाने के लिए हमें दो दशकों तक शानदार काम करना होगा.'

राजन ने कहा कि तत्काल सारे मुद्दे महंगाई रोकने और बैंक बैलेंस शीट को साफ-सुथरा करने से जुड़े हैं. हालांकि, आगे चलकर इनमें देश की गरीब से गरीब आबादी को फाइनैंशल सिस्टम से जोड़ना, हर कोने तक बैंकों की पहुंच, पेमेंट्स बैंक की स्थापना, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस और भारत बिल पेमेंट सिस्टम जैसे मुद्दे शामिल हो जाएंगे.

मौजूदा वित्त वर्ष में देश की जीडीपी वृद्धि दर 7.6% रहने के रिजर्व बैंक के अनुमान पर राजन ने कहा कि कई लोगों को लगता है कि हमने अपनी अर्थव्यवस्था की रफ्तार को कम आंका है. उन्होंने कहा, 'लोगों को लगता है कि देश में मध्यम और लघु उद्योग तेजी से बढ़ रहे हैं, जिन्हें हमने नजरअंदाज कर दिया है. दूसरी ओर बातें यह भी हो रही हैं कि हमने बढ़ा-चढ़ाकर आंकड़े पेश किए क्योंकि कई डिफॉल्टर इशूज अब भी कायम हैं. कुल मिलाकर, हम इन मुद्दों पर काम कर रहे हैं.'

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