गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स का असर जानने के लिए इस साल अगस्त में एक रिटेलर्स एसोसिएशन ने जब मुंबई में एक आयोजन किया तो मुख्य आयोजन से अलग टैक्स एक्सपर्ट्स से केवल एक मुद्दे पर चर्चा की गई. क्या सरकार पहले नहीं चुकाए गए टैक्स के लिए भी उन्हें टारगेट करेगी? ऐसा हो तो वे क्या कर सकते हैं?
कई रिटेलर्स, मिडलमेन, रियल एस्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स और दूसरे छोटे वेंडर्स और ट्रेडर्स इस चिंता में पड़े हैं कि जीएसटी लागू होने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उनके पीछे पड़ सकता है. इनमें से कुछ ने इनकम डिक्लेयरेशन स्कीम के तहत अपनी अघोषित संपत्ति का खुलासा कर दिया है और कई अन्य आने वाले दिनों में ऐसा कर सकते हैं. एक ओर जहां काला धन रखने वाले कई लोग आईडीएस के तहत सामने नहीं आ रहे हैं, वहीं कई बिचौलिए, रिटेलर्स और रियल एस्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स अपनी काली कमाई से परदा हटाने के बारे में सोच रहे हैं.
जीएसटी की व्यवस्था के तहत मैन्युफैक्चरर से लेकर सेलर और मिडलमेन तक, सभी लोगों को जीएसटी के आईटी प्लैटफॉर्म जीएसटीएन पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसका अर्थ यह है कि हर छोटे वेंडर या रिटेलर को जीएसटीएन पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा और अपने पैन की जानकारी देनी होगी. पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में एक बहस के दौरान कहा था, 'हम सभी को कच्चा बिल और पक्का बिल के बारे में पता है. हालांकि जीएसटी से कच्चा बिल का सिस्टम खत्म हो जाएगा क्योंकि व्यापारियों को पक्का बिल देना होगा और असली एकाउंट्स दिखाने होंगे ताकि उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा मिल सके.'
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