सरकार मल्टीब्रैंड खाद्यान्न खुदरा क्षेत्र में 100 फीसदी विदेशी निवेश के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है. इस नीति का मकसद बेकार होने वाले भोजन को बरबाद करने से बचाना, बाजार में प्रतिस्पर्धा पैदा करना, खाद्यान्न उत्पादन क्षेत्र में आधुनिक तकनीकी को बढ़ावा देना और खाद्य उत्पाद आयात करने की बजाय उन्हें एफडीआई की मदद से स्थानीय स्तर पर तैयार करना है.

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर का मानना है कि अब इस क्षेत्र में बदलाव आना चाहिए. खाद्यान्न तैयार करने की पुरानी तकनीक अब नहीं चल सकती. परिस्थितियां बदली हैं तो तकनीक में भी बदलाव ला कर माहौल को बदला जाना चाहिए. भारतीय किसान तकनीकी स्तर पर वैश्वीकरण से बहुत पिछड़ा हुआ है और उसे आगे बढ़ने के लिए तकनीकी तथा विपणन के स्तर पर मदद की जरूरत है. अब 60 साल पुरानी तकनीक प्रासंगिक नहीं है और खाद्य प्रबंधन तथा उत्पाद के लिए नई तकनीक आवश्यक है. एक व्यवस्थित बाजार व्यवस्था के अभाव में हमारे किसान पिछड़ रहे हैं.

श्रीमती हरसिमरत कौर का यह सुझाव सरकार अगर मान लेती है तो खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में क्रांति आ सकती है और ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘स्टार्ट अप इंडिया’ जैसे नारे जमीनी स्तर पर क्रियान्वित हो सकेंगे. बदलाव समय की जरूरत होता है और इस सूत्र को क्रियान्वित किया जाना चाहिए.

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