ब्रिक्स देश नई क्रेडिट रेटिंग एजेंसी बनाने को लेकर तैयार हो गए हैं. माना जा रहा है कि नई क्रेडिट रेटिंग एजेंसी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को मदद मिलेगी और वर्ल्ड ऑफ क्रेडिट रेटिंग एजेंसी में वेस्टर्न डॉमिनेंस कम होगा. पीएम नरेंद्र मोदी ने इस बात की जानकारी दी है कि मार्केट ओरिएंट प्रिंसिपल के आधार पर ब्रिक्स क्रेडिट रेटिंग बनाने को लेकर ब्रिक्स देश भारत, रूस, साउथ अफ्रीका, ब्राजील और चीन राजी हो गए हैं.
एनडीबी ने बताई थी जरूरत
इसके पहले ब्रिक्स देशों ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की स्थापनी की थी. एनडीबी ने पिछले साल से काम करना शुरू कर दिया है और वह मेंबर देशों के फंड की जरूरतों को पूरा करता है. न्यू डेवलपमेंट बैंक के प्रेसिडेंट केवी कामत ने नई क्रेडिट रेटिंग एजेंसी बनाने की जरूरत बताई थी. उन्होंने कहा था कि वर्तमान में 3 बड़ी वैश्विक रेटिंग एजेंसियां जो तरीका अपनाती हैं, वह इमर्जिंग इकोनॉमी के डेवलपमेंट में एक तरह से अड़चन है. उनकी रेटिंग में वेस्टर्न कंट्रीज का ही डॉमिनेंस दिखता है. अभी 3 बड़ी ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों में एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स, फिच रेटिंग्स और मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस शामिल हैं.
रेटिंग एजेंसियों के काम के तरीके पर सवाल
एनडीबी ने बड़ी रेटिंग एजेंसियों के काम के तरीके पर सवाल उठाए थे. कामथ ने कहा था कि इनके तरीके से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के डेवलपमेंट में रुकावट आती है. इसके लिए उन्होंने खुद एनडीबी का उदाहरण दिया था. उन्होंने कहा था कि एनडीबी जैसे मल्टीलैटरल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के पास मेंबर देशों की जरूरतों के लिए डीप कैपिटल बफर होता है, इसके बाद भी इनकी रेटिंग पैरेंट कंट्रीज की वित्तिय साख से प्रभावित होती है.
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