वैश्विक स्तर पर दिक्कतों तथा घरेलू मोर्चे पर नकदी की कमी की वजह से कर्मचारियों या नौकरी की तलाश कर रहे लोगों के लिए नया साल चुनौतीपूर्ण रहेगा. नियोक्ता पहले से ही 'वेट एंड वॉच' की नीति अपना रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि वेतनवृद्धि में भी कमजोर रुख दिख रहा है. कई महिनों के विश्लेषण से पता चलता है कि इस साल नियुक्तियों में वृद्धि का रुख 2015 की तुलना में कमजोर रहा है.

विशेषज्ञों के अनुसार वेतनवृद्धि अनुमानित 20 प्रतिशत के आंकडे़ से कम रही. हालांकि यह 10 प्रतिशत की औसत वृद्धि के अनुमान से अधिक रही. माना जा रहा है कि सरकार का नोटबंदी का फैसला तथा अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति चुना जाना, दो ऐसे कारक हैं जिनका नए साल में कुछ निश्चित सेक्टरों पर असर पड़ सकता है.

ग्लोबल एग्जिक्युटिव रिक्रूटमेंट फर्म 'एंटल इंटरनेशनल इंडिया' के प्रबंध निदेशक जोसफ देवासिया ने कहा, 'उपभोक्ता आधारित क्षेत्रों मसलन एफएमसीजी तथा खुदरा क्षेत्र ने शुरुआत में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन हालिया नोटबंदी के कदम के बाद बिक्री में भारी गिरावट आई है. फिलहाल इन क्षेत्रों में नौकरियांकम हुई हैं और अगले दो साल तक ऐसी स्थिति रहने का अनुमान है.'

उन्होंने हालांकि कहा कि नोटबंदी से अभी नकारात्मक असर पड़ा है लेकिन बाद में इससे देश को लाभ होगा और युवाओं को औपचारिक क्षेत्र में अधिक रोजगार उपलब्ध होगा. 'माई हायरिंग क्लब डॉट कॉम' के सीईओ राजेश कुमार ने कहा, 'मौजूदा अप्रेजल सीजन में सैलरी और बोनस केवल एक अंक में ही बढ़ेगा. इन्क्रिमेंट में औसतन 9 फीसदी और बोनस 10 फीसदी की बढ़ोतरी होगी.'

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