जीएसटी के पोर्टल में खराबी को लेकर अब अदालतों ने सरकार से जवाब तलब करना शुरू कर दिया है. आल इंडिया फेडरेशन आफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स के जनरल सेक्रटरी संजय शर्मा ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद से तकनीकी और वैधानिक दिक्कतों को लेकर जैसे-जैसे अपीलें आ रही हैं, अदालतें सवाल उठाती जा रही हैं. दो महीने के भीतर जीएसटी की तारीख तीन बार बढ़ाई जा चुकी है, तारीख का बढ़ना इस बात की तरफ इशारा करता है कि सरकार और उसके सिस्टम की तैयारी ठीक नहीं थी.

रजिस्ट्रेशन और माइग्रेशन फार्म में खामियों, ब्याज और जुर्माना, कंपोजिशन विंडो बंद करने, क्रेडिट के फार्म ट्रान-1 में गड़बड़ियों, एक्सपोर्टर्स का रिफंड रोकने सहित कई मसलों पर दिल्ली सहित कई राज्यों के उच्च न्यायालयों में रोजाना कोई न कोई शिकायत दाखिल कराई जा रही है.

दिल्ली हाई कोर्ट में भी लगातार तकनीकी खामियों के चलते व्यापारियों को हो रहे नुकसान को लेकर याचिकाएं दाखिल हो रही हैं. जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस एम प्रतिभा सिंह की बेंच ने निर्यातकों की इन दाखिल याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है कि जीरो रेटेड सप्लाई पर टैक्स नहीं चुकाने के लिए कोई कारोबारी बैंक गारंटी या बौन्ड क्यों जमा करे? कारोबारियों की ओर से इस बात पर भी आपत्ति जताई गई है कि इस नियम के दायरे में 1 करोड़ टर्नओवर से कम के असेसी को ही रखा गया है, जबकि बड़े कारोबारियों को छूट दी गई है.

राजस्थान हाई कोर्ट ने इस अपील पर केंद्र से एक हफ्ते में जवाब मांगा है कि कंप्लायंस में आ रही तकनीकी दिक्कतों का नुकसान कारोबारी क्यों सहें? जब आपका सिस्टम तैयार नहीं था तो कारोबारियों पर 'क्लिनिकल ट्रायल' क्यों थोपा.

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