औनलाइन खरीद के इस दौर में महानगरों व अन्य शहरों में खरीदारी के लिए बाजार जाने की परंपरा कम हो रही है. आधिकारिक तौर पर इस तरह का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है लेकिन औनलाइन का प्रचलन बढ़ने तथा औनलाइन कारोबार में जुटी कंपनियों के कारोबार से साफ है कि हर वर्ग का खरीदार औनलाइन खरीदारी को उत्साह से ले रहा है. शहरी युवापीढ़ी तो इस की दीवानी हो गई है. सबकुछ औनलाइन उपलब्ध है. फ्रौड भी औनलाइन कारोबार में जम कर हो रहा है. इधर, कंपनियों ने दवा खरीद के लिए भी औनलाइन व्यवस्था कराई है. बड़े स्तर पर लोग दवा भी औनलाइन खरीद कर रहे हैं. उन का विश्वास है कि इस खरीद में नकली दवा की कम संभावना है. औनलाइन खरीद के लिए लोगों का उत्साह देखते हुए सरकार ने सभी राज्यों को दवा की औनलाइन खरीद पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं.

औषधि नियंत्रक महानिदेशालय का कहना है कि दवा बेचने के लिए लाइसैंस और कंपनी के लिए दवा बेचने के वास्ते प्रशिक्षित फार्मेसिस्ट रखना कानूनन जरूरी है. साथ ही, डाक्टर द्वारा सुझाई गई दवा ही बेचने की अनुमति है. जब तक डाक्टर की दवा लिखी परची नहीं होगी, विक्रेता खरीदार को दवा नहीं बेच सकता. महानिदेशालय का कहना है कि जब औषधि नियंत्रक कानून बना था उस समय औनलाइन खरीदारी का प्रचलन नहीं था, इसलिए कानून में इस तरह के कारोबार में दवा बिक्री की व्यवस्था नहीं है. इस स्थिति में औनलाइन दवा को नहीं बेचा जा सकता. कानून और कारोबारियों के बीच पिस तो खरीदार रहा है लेकिन लोगों को यह ध्यान रखना जरूरी है कि डाक्टर की लिखी परची के बिना दवा नहीं खरीदी जा सकती और न ही इस का सेवन करना चाहिए.

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