स्मार्टफोन आज हर हाथ की शान बन गया है. बस, रेल, मैट्रो या अन्य किसी भी सार्वजनिक वाहन से सफर करते समय लोग अपने स्मार्टफोन में व्यस्त नजर आते हैं. यह प्रचलन महानगरों में लगातार बढ़ रहा है. लोकल ट्रेन या सार्वजानिक वाहनों में सफर करते हुए समसामयिक मुद्दों पर की जाने वाली बहसें अब लगभग खत्म हो गई हैं. लोग खुद के मोबाइल में इस तरह चिपके रहते हैं कि अगलबगल में क्या चल रहा है, उस की उन्हें रास्ता चलते खबर नहीं रहती.

जियो मोबाइल के डाटा निशुल्क देने की पिछले डेढ़ वर्ष पहले की गई घोषणा के बाद यह स्थिति ज्यादा बनी है. रिलायंस के जियो के बाद एअरटेल, वोडाफोन, बीएसएनएल, आइडिया जैसी सेवाप्रदाता कंपनियां प्रतिस्पर्धा में आईं और उन्होंने भी अपने ग्राहकों को संभालने के लिए कम कीमत पर डाटा उपलब्ध कराना शुरू कर दिया. लोगों को कम दाम पर डाटा मिल रहा है लेकिन कंपनियों का नैटवर्क वाईफाई महज नाममात्र का होता है.

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई ने इस स्थिति पर नियंत्रण करने और उपभोक्ताओं को पूरा लाभ देने के लिए नई नियमावली पर काम शुरू कर दिया है. इस के तहत उपभोक्ता को हर हाल में वाईफाई पर 20 एमबीपीएस और ब्रौडबैंड पर न्यूनतम स्पीड 2 एमबीपीएस देनी होगी. यह स्थिति हर समय बरकरार रहेगी. इस के लिए अगले 5 वर्षों में दूरसंचार क्षेत्र में 6.40 लाख करोड़ रुपए का निवेश होना है और संचार व्यवस्था के स्तर पर भारत को 50 शीर्ष देशों में शामिल कराना है.

वाईफाई के एक करोड़ हौटस्पौट तैयार किए जाने हैं और उपभोक्ताओं की हर दिक्कत का समाधान सुनिश्चित कराया जाएगा. यह व्यवस्था सरकार द्वारा तैयार की जा रही राष्ट्रीय संचार नीति में की जा रही है. ट्राई का कहना है कि इस संबंध में लोग अपनी दिक्कतें उसे भेजें ताकि जिस समस्या का नीति में समाधान नहीं आया है, उसे भी प्रस्ताव में शामिल किया जा सके.

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