सेबी ने म्यूचुअल फंडों का एक्सपेंस रेशियो घटा दिया है. निवेशकों का पैसा मैनेज करने के लिए उनसे ली जाने वाली फीस को एक्सपेंस रेशियो कहते हैं. सिक्योरिटीज मार्केट के रूल्स तोड़ने वालों के लिए कंसेंट मैकेनिज्म में बदलाव, बड़ी कंपनियों के लिए डेट मार्केट से अनिवार्य तौर पर पैसा जुटाने के नियम के साथ मंगलवार की बोर्ड मीटिंग में सेबी ने कई अन्य उपायों का भी ऐलान किया.
सेबी के इन उपायों से म्यूचुअल फंड में निवेश की लागत कम होगी और छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा होगी. उसने एचआर खान समिति की सिफारिशों को भी मान लिया है, जिनमें एनआरआई और कुछ विदेशी फंडों के इनवेस्टमेंट पर लगाई गई कुछ पाबंदियों को हटाने की बात कही गई थी. इससे विदेशी निवेशकों की फिक्र दूर होगी,जिन्हें नियमों में सख्ती का डर परेशान कर रहा था.
इक्विटी MF के एक्सपेंस रेशियो में कटौती
साइज के आधार पर ओपन एंडेड इक्विटी स्कीम्स के एक्सपेंस रेशियो को घटाया गया है. 500 करोड़ रुपये तक मैनेज करने वाली स्कीम के लिए 2.25 पर्सेंट और 50 हजार करोड़ से अधिक एसेट्स वाले फंड्स के लिए 1.05 पर्सेंट का सालाना एक्सपेंस रेशियो तय किया गया है. सेबी ने म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटरों को अपफ्रंट कमीशन देने पर भी रोक लगा दी है. सेबी के होलटाइम मेंबर पुरी बुच ने मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि एक्सपेंस रेशियो में कटौती से निवेशक साल में 1,300-1,500 करोड़ बचा पाएंगे. इस पर मिराए एसेट म्यूचुअल फंड के सीईओ स्वरूप मोहंती ने कहा कि एक्सपेंस रेशियो कम होने से शॉर्ट टर्म में प्रॉफिटेबिलिटी कम होगी, लेकिन लॉन्ग टर्म में इससे बिजनेस बढ़ेगा.
कंसेंट मैकेनिज्म
सेबी ने कहा है कि अगर उसे लगता है कि किसी अपराध का मार्केट पर व्यापक असर या निवेशकों को नुकसान हुआ है तो वह कंसेंट मैकेनिज्म से उसे सेटल नहीं करेगा. इस सिस्टम में आरोपी अपनी गलती स्वीकार किए बिना जुर्माना देकर मामला रफा-दफा कर सकता है. कंसेंट मैकेनिज्म से मुकदमेबाजी कम करने में मदद मिलती है. सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने बताया, ‘हम सिद्धांतों के आधार पर ऐसे मामलों में फैसला करेंगे.’
FPI के लिए कॉमन एप्लिकेशन फॉर्म
सेबी ने बताया कि उसने खान समिति की सिफारिशें मान ली हैं और इस सिलसिले में वह अलग सर्कुलर जारी करेगा. 10 अप्रैल को एक सर्कुलर में सेबी ने एनआरआई और भारतवंशियों के यहां निवेश करने वाले विदेशी फंड्स के बेनेफिशियल ओनर होने पर रोक लगा दी थी. इस कदम का विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि सेबी को बेनेफिशियल ओनर डेफिनिशन का इस्तेमाल पारदर्शिता बढ़ाने के लिए करना चाहिए.