मौजूदा वित्त वर्ष खत्म होनेवाला है और 1 अप्रैल से नए वित्त वर्ष की शुरुआत हो जाएगी. ऐसे में जरूरी है कि कुछ काम को नया वित्त वर्ष आने के पहले पहले निपटा लिया जाए. इनमें मौजूदा वित्त वर्ष में हुए विभिन्न लाभ का हिसाब-किताब करने से लेकर टैक्स बचाने के लिए निवेश के पोर्टफोलियो का विश्लेषण करने तक, महत्वपूर्ण वित्तीय कार्य शामिल हैं. यहां हमने आपके लिए ऐसे ही कामों की सूची तैयार की है जिन्हें अप्रैल के पहले हफ्ते तक निश्चित रूप से निपटा दिया जाना चाहिए. आइये जानें इसके बारें में-

पोर्टफोलियो ट्रैकर साइन अप करें

कब तकः जितना जल्दी हो सके

बजट में ग्रैंडफादरिंग की व्यवस्था से इक्विटीज पर लौन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) टैक्स का दर्द कम हुआ है, लेकिन एलटीसीजी का आकलन पेचीदा हो गया है. एलटीसीजी की गणना करने के लिए निवेशकों को याद रखना होगा कि 31 जनवरी 2018 को उनके शेयरों के दाम और म्यूचुअल फंड्स के नैट ऐसेट वैल्यू (एनएवी) क्या थे. आप डेटा मेंटेन करने के लिए एक्सेल शीट की मदद ले सकते हैं, लेकिन फ्री पोर्टफोलियो ट्रैकर साइन अप करना बेहतर विकल्प है. इससे एलटीसीजी की गणना का काम बेहद आसान हो जाएगा.

डेडलाइन से पहले टैक्स रिटर्न्स फाइल करें

कब तकः 31 मार्च से पहले

आपको ते मालूम ही होगा कि दो वर्षों के टैक्स रिटर्न्स फाइल करने की सुविधा अब खत्म हो चुकी है. इस वर्ष से आकलन वर्ष के अंदर ही टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं. इसका मतलब है कि आप 2015-16 और 2016-17 के रिटर्न्स 31 मार्च 2018 तक ही फाइल कर सकते हैं. इसके बाद टैक्स रिटर्न फाइल करने पर आपको जुर्माना देना पड़ेगा. अगर आपको टैक्स फाइलिंग को लेकर कोई उलझन है तो भी 31 जुलाई 2018 से पहले तक तो रिटर्न्स फाइल कर ही दें. अगर जरूरी हो तो फिर 31 मार्च 2019 से पहले तक रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकते हैं. जुर्माने से बचने की यह कारगर तरकीब है. देर से रिटर्न्स फाइलिंग का एक नुकसान लौस अजस्टमेंट को लेकर होता है. अगर आपको बिजनस लौस, शौर्ट या लौन्ग टर्म कैपिटल लौस आदि हुआ हो तो आपको समयसीमा के अंदर टैक्स रिटर्न्स फाइल करना होगा. वरना, अगले वित्त वर्ष में लौस कैरी फौरवर्ड करने का लाभ नहीं मिल पाएगा.

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