3 राज्यों में करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार के कान भी तन गए हैं. कांग्रेस शासित तीनों राज्यों में कुरसी संभालते ही मुख्यमंत्रियों ने किसानों को खुश करने के लिए कर्जमाफी का ऐलान कर उन्हें तोहफा तो दे ही दिया है. भले ही इस का फायदा कुछ ही किसानों को मिले. क्योंकि उस में शर्त ही कुछ ऐसी है कि 2 लाख तक के ही कर्जे माफ होंगे. नीति आयोग ने कहा है कि सभी किसानों को इनकम सपोर्ट के रूप में हर साल प्रति हेक्टेयर 15,000 रुपए दिए जा सकते हैं. इस के लिए नीति आयोग ने डायरैक्ट बैनेफिट ट्रांसफर के जरीए अपफ्रंट सब्सिडी का सुझाव दिया है.

नीति आयोग ने कहा है कि उर्वरक, बिजली, फसल बीमा, सिंचाई और ब्याज में छूट देने के साथ ही खेतीबारी से जुड़ी हर तरह की सब्सिडी की जगह इनकम ट्रांसफर की व्यवस्था अपनाई जाए.

तेलंगाना और ओडिशा सरकार ने किसानों को मदद देने के लिए कृषि कर्जमाफी के बजाय इनकम सपोर्ट का सिस्टम अपनाया है. कई राज्यों में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस सरकारों ने कर्जमाफी का ऐलान किया था. इस पर केंद्र ने कहा है कि ऐसी कर्जमाफी से असल समस्या खत्म नहीं होती है.

एग्रीकल्चर सैक्टर को हर साल 2 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा की इनपुट सब्सिडी मिलती है. देश में अगर खेती वाले रकबे को ध्यान में रखा जाए तो यह इनपुट सब्सिडी प्रति हेक्टेयर 15,000 रुपए बनती है. वहीं पौलिसी बनाने वालों की दलील थी कि सब्सिडी से आम आदमी का भला नहीं हो पा रहा है. उन का कहना है कि कुछ मामलों में इस का प्राकृतिक संसाधनों पर बुरा असर भी पड़ता है.

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