लगता है कि भारतीय दूरसंचार उद्योग विलय व अधिग्रहण के जरिए एकीकरण की राह पर है. इसीलिए तो वोडाफोन इंडिया और आइडिया के विलय के बाद अब टाटा टेलीसर्विसेज का विलय भारती एयरटेल में होने जा रहा है. डोकोमो का एयरटेल में विलय के इस सौदे को दुनिया के सबसे बड़े दूरसंचार बाजारों में से एक भारत में एकीकरण का एक और मजबूत संकेत माना जा रहा है.
भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने इस सौदे को भारतीय मोबाइल उद्योग के सुदृढ़ीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण घटनाक्रम करार दिया है. उन्होंने कहा कि अतिरिक्त स्पेक्ट्रम अधिग्रहण से आकर्षक कारोबारी प्रस्थापना बनेगी. वहीं टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा है कि यह समझौता टाटा समूह व इसके भागीदारों के लिए श्रेष्ठ व सबसे बेहतर समाधान है. उन्होंने कहा है कि अनेक विकल्पों पर विचार के बाद एयरटेल के साथ यह समझौता किया गया है. सौदे के बारे में नियामकीय मंजूरी ली जानी है.
प्रस्तावित सौदे के तहत टाटा टेलीसर्विसेज (टीटीएसएल) व टाटा टेलीसर्विसेज महाराष्ट्र (टीटीएमएल) के चार करोड़ से अधिक ग्राहक भारती एयरटेल में चले जाएंगे. उल्लेखनीय है कि तथा विश्लेषकों का मानना है कि इस सौदे से इस प्रक्रिया को और बल मिलेगा. इस सौदे के तहत 19 दूरसंचार सर्किलों में टाटा सीबीएम के परिचालन का खुद में विलय करेगी. इस विलय से 1800, 2100 व 850 मेगाहटर्ज बैंड में भारती एयरटेल का स्पेक्ट्रम पूल 178.5 मेगाहटर्ज बढ़ेगा.
उल्लेखनीय है कि टाटा समूह की कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज टेलीफोन कारोबार में अपनी वित्तीय दिक्कतों पर पार पाने की कोशिश कर रही है. दोनों कंपनियों ने एक साझा बयान में कहा है कि यह सौदा कोई ऋण नहीं-कोई नकदी नहीं के आधार पर किया गया है. यानी एयरटेल टाटा टेलीसर्विसेज के 40,000 करोड़ रुपये के कर्ज में अपनी कोई हिस्सेदारी नहीं देगी और न ही उनके किसी नकदी का भुगतान करेगी. यहां तक कि टीटीएसएल द्वारा खरीदे गए स्पेक्ट्रम के लिए 9,000-10,000 करोड़ रुपये के विलंबित भुगतान में से 70-80 प्रतिशत हिस्से का भुगतान भी टाटा ही करेगी.
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