सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के बैंक कर्मचारियों ने 29 जुलाई को हड़ताल करने का फैसला किया है. ये बैंककर्मी केंद्र सरकार द्वारा बैंकिंग सुधार नीति में 'जनविरोधी' बदलावों का विरोध कर रहे हैं. बैंककर्मियों के संघ (एआईबीईए) ने इसकी जानकारी दी.
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू) देश के नौ ट्रेड यूनियनों से मिलकर बना है और 10 लाख बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करता है. इसकी अगुवाई में ही हड़ताल बुलाई गई है. बैंक कर्मी की तरह की मांगें रख रहे हैं जिनमें सरकारी बैंकों का निजीकरण नहीं करने और ऐसे बैंकों में निजी पूंजी बढ़ाने जैसी मांगें शामिल हैं. ये बैंकिंग सेक्टर में एफडीआई का भी विरोध कर रहे हैं.
ऑल इंडिया बैंक एंप्लॉयीज असोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने एक बयान में कहा कि इन मुद्दों के अलावा यूनियन्स क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों एवं कोऑपरेटिव बैंकों के निजीकरण तथा बैंकों का एक-दूसरे में कॉन्सॉलिडेशन और मर्जर का विरोध कर रहे हैं. इन्हीं मुद्दों पर (यूएफबीयू) की ओर से आयोजित बैठक में एक दिन की हड़ताल पर जाने का फैसला लिया गया है.