बदलते जमाने में ईकौमर्स की रूपरेखा बदल रही है. बदलाव से कोई खुश होगा तो कोई दुखी. ऐसा हर बदलाव से होता भी है. जमाना बदला है तो जमाने संग लोगों की सोच भी बदली. तौरतरीके, रंगढंग भी बदले. इसी बदली सोच का परिणाम है औनलाइन शौपिंग. ईकौमर्स या ई व्यवसाय इंटरनैट के जरिए व्यापार का संचालन है. न केवल खरीदना व बेचना, बल्कि ग्राहकों के लिए सेवाएं और व्यापार के भागीदारों के साथ सहयोग भी इस में शामिल है.
पहले लोग बाजार जाते थे, चीजें देखतेपरखते थे, मोलभाव करते थे. उस के बाद पसंद आने पर खरीदते थे. मगर अब दुनिया बदल गई है. मोबाइल हाथ में क्या आया, हर आदमी यही समझता है कि मोबाइल हाथ में, तो दुनिया मुट्ठी में.
पहले कुछ भी खरीदना हो, बाजार की सैर करनी ही पड़ती थी. कंप्यूटर और मोबाइल आने के बाद दुनिया बदल गई है. अब बाजार खुद उठ कर घर चला आता है. बिलकुल, जो मांगोगे वही मिलेगा वाला आलम है. इस को कहते हैं औनलाइन शौपिंग. इस से खरीदारों के मजे हैं, मगर औफलाइन दुकानदारों की नींद हराम है.
यदि ग्राहक घर बैठे खरीदारी करेंगे, मोटा डिस्काउंट पाएंगे और कैशबैक भी तो बाजार में दुकान खोल कर बैठे व्यापारी की तो शामत आनी ही है. यही हो रहा है. हर ग्राहक कहता है कि औनलाइन का जमाना है. क्यों न कहे? पहले बहुत मोलभाव करने पर व्यापारी थोड़ा सा डिस्काउंट देता था, अब औनलाइन कंपनियां बिना मांगे ही मोटा डिस्काउंट देती हैं. यदि कोई त्योहार वगैरह हो तो ये कंपनियां इतना डिस्काउंट दे देती हैं कि ग्राहक की आंखें चुंधिया सी जाती हैं. तब उसे वह कहावत याद आती है, ‘आम के आम गुठलियों के दाम,’ वह भी घर बैठे.
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