जीएसटी और नोटबंदी की मार से हैरानपरेशान देश के व्यापारी खासकर फुटकर कारोबारी एक और मार झेलने को मजबूर हैं. यह मार सरकार की नहीं, बल्कि देशविदेश की ई-कौमर्स कंपनियों की तरफ से उन पर पड़ रही है. ये कंपनियां एमेजोन इंडिया और फ्लिपकार्ट हैं, जो भारत सरकार के नियमों की अनदेखी कर रही हैं.

मालूम हो की एमेजोन और फ्लिपकार्ट को फौरेन फंडिंग हासिल है, ये औनलाइन मार्किटप्लेस की तरह औपरेट करती हैं. इन्हें इन्वेंटरी रखने या अपनी वेबसाइट पर बेचे जाने वाले प्रोडक्ट्स की कीमत को प्रभावित करने की इजाजत नहीं है.

देश के प्रवर्तन निदेशालय यानी एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) इस बात की जांच कर रहा है कि ई-कौमर्स कंपनियों एमेजोन इंडिया और फ्लिपकार्ट ने देश विदेश फौरेन एक्सचेंज रेगुलेशंस यानी विदेशी विनिमय दिशानिर्देश का उल्लंघन किया है या नहीं.

ईडी ने इस बात का खुलासा दिल्ली उच्च न्यायालय में  एक जनहित याचिका के जवाब में किया है. यह याचिका देश के 2 बड़े औनलाइन रिटेल प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ दाखिल की गयी थी. आरोप लगाया गया है कि इन दोनों ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी फौरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) के नियमों की अनदेखी की है. ईडी को एमेजोन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ मोबाइल हैंडसेट निर्माताओं के एक लौबी से भी शिकायत मिली है.

ईडी ने फौरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) 1999 के प्रावधानों के तहत फ्लिपकार्ट और एमेजोन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन दोनों ने इस कानून के किसी प्रावधान या फेमा के तहत जारी किसी नियम, नोटिफिकेशन, निर्देश या आदेश का उल्लंघन किया है या नहीं.

एक एनजीओ टेलीकौम वाचडौग ने यह आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दाखिल की थी कि इन कौमर्स कंपनियों ने प्रॉक्सी विक्रेताओं के जरिए पोपुलर (जनप्रिय) प्रोडक्ट्स को सस्ती दरों पर औफर कर प्राइसिंग (कीमतों) के बारे में एफडीआई नियमों का उल्लंघन किया और छोटे कारोबारियों व औफलाइन रिटेलर्स को इस बिजनेस में किनारे धकेला.

एनजीओ ने आरोप लगाया कि एमेजोन और फ्लिपकार्ट का इन विक्रेताओं के ज़रिए अपने प्लेटफार्म पर बेचीं जाने वाली वस्तुओं की कीमतों पर पूरा नियंत्रण है. इन ई-कौमर्स कंपनियों ने मैन्युफैक्चरर्स से ज्यादा डिस्काउंट पर थोक पर ब्रांडेड सामान खरीदकर छोटे विक्रेताओं के लिए कारोबार करना मुश्किल बना दिया है.

इधर, फ्लिपकार्ट के एक उच्च अधिकारी का कहना है, ‘भारत सरकार ने ई-कौमर्स मार्केटप्लेस मौडल में 100 फीसदी एफडीआई की इजाजत दी है और हम एफडीआई कानूनों का पूरी तरह पालन करते हैं.’

वहीं, मोबाइल हैंडसेट मेकर्स के लौबी ग्रुप इंडियन सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने दावा किया है कि पिछले सालभर में फ्लिपकार्ट और एमेजोन पर दिए जाने वाले डिस्काउंटस के चलते मोबाइल फोन रिटेल सेगमेंट में रोजगार के लाखों अवसर खत्म हो गए हैं.

आईसीईए की मांग है कि एफडीआई नियमों का उल्लंघन कर औफलाइन रिटेल मार्किट को प्रभावित करने के लिए एमेजोन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ कार्यवाही की जाए.

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