वाहनों की बढ़ती तादाद सड़कों पर भीड़ बढ़ा रही है, साथ ही पर्यावरण को भी दूषित कर रही है. कार निर्माता कंपनियों के बीच कारों के निर्माण तथा बिक्री के लिए होड़ मची है और हर माह कंपनियां अपनी बिक्री का डंका पीट रही हैं. कंपनियां ग्राहकों को आकर्षित करने की तरहतरह की योजनाएं चला रही हैं उधर, बढ़ते पर्यावरण के मद्देनजर सरकार ने दिल्ली जैसे महानगरों में प्रदूषण कम करने के लिए डीजल वाहनों पर रोक लगा दी है. सीएनजी से चलने वाली बसें दिल्ली में संचालित की जा रही हैं. डीजल कारों का संचालन बंद कर दिया गया है और शायद जल्द ही पैट्रोल कारों पर भी लगाम कस दी जाए.

वाहनों के धुएं के कारण फैलने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार इलैक्ट्रिक कारों का संचालन करना चाहती है. उस की योजना 2020 तक देश की सड़कों पर70 लाख इलैक्ट्रिक वाहन उतारने की है. इलैक्ट्रिक रिकशा पहले ही संचालित किए जा रहे हैं जो धीरेधीरे शहरों में प्रदूषण फैलाने वाले तिपहिया वाहनों की जगह ले रहे हैं. मंत्रियों का एक समूह इस दिशा में काम कर रहा है जिन में बिजली मंत्री पीयूष गोयल, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, पैट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान तथा पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर शामिल हैं. इलैक्ट्रिक वाहनों के संचालन से जुड़ी समस्या के निदान पर सरकार की अगले 5 साल में 2 हजार करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है. इस राशि का इस्तेमाल इस योजना से जुड़ी तकनीक के अमल में लाने पर खर्च किया जाएगा.

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